Friday, December 4, 2009

तो अब सांसद भी मांगे आईआईएम सी पाठशाला

इंडिया गेट से
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तो अब सांसद भी मांगे
आईआईएम सी पाठशाला
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 संतोष कुमार
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             तो संसद का अगला हफ्ता लिब्राहन रपट के नाम होगा। मुलायम सिंह की हिंदी कापी भी आ गई। सो लोकसभा में सोम, मंगल। राज्यसभा में बुध, गुरु को बहस होगी। पर रपट में कमीशन के 17 साल के सिवा कुछ नया नहीं। अलबत्ता कुछ ऐसी खामियां, जिनकी बखियां तो उधड़ेंगी ही। पर राजनीति तो अजर-अमर। सो दोनों तरफ हल्ला ब्रिगेड और बखिया उधेड़ू दस्ता तैयार हो गए। महंगी चीनी के जमाने में भी बीजेपी को हिंदुत्व की चासनी खूब भाती। सो आरोपियों की लिस्ट में शामिल नेताओं को बहस से दूर रखा। यानी बाबरी ढांचा ढहाने की नैतिक जिम्मेदारी तो खुद ओढ़ ली। अब अगर आडवाणी खुद बचाव करते। तो बार-बार ढांचा गिराए जाने पर अफसोस जताते। ताकि सेक्युलर होने का तमगा मिल सके। सो बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे। पर अब बीजेपी की मापतोल का काम आरएसएस ने पूरा कर लिया। सो आरएसएस ने भी बैन हटा लिया। अब लिब्राहन रपट पर डी-4 भी बोलेगा। ताकि हिंदुत्व के चेहरे बीजेपी में बढ़ें। पर कांग्रेस को तो दूजे वोट बैंक की फिक्र। अब संसद में कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार पर चौतरफा हमला होगा। तो चुपचाप सहना वोटरों को संदेश दे जाएगा। सो नैतिकता-वैतिकता को ताक पर रखने की ठान ली। कांग्रेस यूपी के नेताओं को बहस में उतारेगी। तो शुरुआत जगदंबिका पाल करेंगे। पर लिब्राहन रपट में जगदंबिका पाल भी साजिशकर्ताओं की लिस्ट में शामिल। सो कांग्रेस ने बीजेपी के उलट रणनीति अपनाई। यानी संसद में आडवाणी-जोशी मुंह नहीं खोलेंगे। तो वोटरों को मैसेज देंगे। पर कांग्रेस के नेता आरोपी की लिस्ट में शामिल हों। फिर भी मुंह न खोले। तो उनका वोट बैंक खिसकेगा। सो बीजेपी ने अपने वोट बैंक की खातिर आडवाणी-जोशी को बहस से दूर रखा। तो कांग्रेस अपने वोट बैंक की खातिर जगदंबिका पाल को उतारेगी। सिर्फ कानूनी पहलू को राजनीतिक अंदाज में परोसेंगे कपिल सिब्बल। अब अगर दोनों बड़ी पार्टियां वाकई वोटरों के प्रति ईमानदार होतीं। तो लोकसभा सचिवालय में पहला नोटिस इनका होता। पर बहस की शुरुआत सीपीआई के गुरुदास दासगुप्त करेंगे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस, तो तीसरे नंबर पर हिंदुत्व की झंडाबरदार बीजेपी। अब भले नोटिस देकर पहला वक्ता बनने की बात छोटी सी। पर निष्ठïा की दुहाई देने वालों की तत्परता का अंदाजा तो लग ही रहा। अब कोई पहले बोले, या बाद में। पर रपट के बहाने चार दिन तक संसद की तारीख छह दिसंबर से आगे नहीं बढ़ेगी। मुलायम सिंह ने तो पहले ही कह दिया। नरसिंह राव को मनमोहन सरकार ने क्लीन चिट दिलवाई। बोले- 'गुरु राव को चेले मनमोहन की ओर से गुरु दक्षिणा में क्लीन चिट।' मुलायम-लेफ्ट-बीएसपी जैसों के निशाने पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों होंगी। रपट संसद में पेश होने से पहले आडवाणी और मुलायम अपनी-अपनी निष्ठïा का प्रदर्शन कर चुके। आडवाणी को बाबरी मस्जिद गिरने का मलाल भी। पर किसी भी सूरत में वहां मंदिर ही बने, यही उनके जीवन की साध। अब यह कैसा मलाल, अपनी तो समझ से बाहर। पर आडवाणी की स्फूर्ति देख बीजेपी में ही लोग कहने लगे। क्या लिब्राहन रपट के सहारे पूरी पारी खेलने की तैयारी? पर आडवाणी की बात चली। तो बताते जाएं, लोकसभा चुनाव से पहले उन ने आमिर खान की 'तारे जमीं पर' देखी थी। अब भले नतीजे जो भी रहे। अब उन ने एक और मानवीय सरोकार वाली फिल्म 'जेल' देखी। सो कुछ भाजपाइयों को डर सता रहा। कहीं बीजेपी भी अब आरएसएस की 'जेल'  न हो जाए। संसदीय दल की मीटिंग में पूर्णिया से सांसद उदय सिंह यह मुद्दा उठा चुके। जेलर की भूमिका में आरएसएस की दखलंदाजी पर भरी मीटिंग में भड़क उठे। तो वेंकैया को बात संभालनी पड़ी थी। पर यह तो अंदरूनी मंच पर बीजेपी सांसद की पीड़ा। अब शुक्रवार को हिमाचल के कांगड़ा से सांसद राजन सुशांत ने मौजूं मुद्दा उठाया। पर ईमानदारी भी देखिए, उन ने सभी पार्टियों में योग्य नेता की कमी बताई। लोकसभा में शून्यकाल में अति लोक महत्वपूर्ण विषय के तहत बोल रहे थे। कहा- 'सभी पार्टियों में योग्य नेताओं की कमी। देश की जनता योग्य नेता चाहती। जो सदन में बात रख सकें। सो आईपीएस, आईएफएस और आईएएम जैसा एक नेतागिरी का भी संस्थान हो। जिसका पाठ्यक्रम भी बनाया जाए। ताकि उसमें नेतागिरी की ट्रेनिंग हो।' अब जरा राजन भाई का बैक ग्राउंड बता दें। हिमाचल में चार टर्म एमएलए, पांच साल मंत्री रहे। पेशे से डाक्टर, वकील, ट्रेड यूनियनिस्ट, हार्टीकल्चरिस्ट। अबके पहली बार लोकसभा में। शायद राजन भाई को लोकसभा में कमी दिख गई। सो दिल की बात जुबां पर ले आए। वरना कभी ऐसा सुना, कोई नेता खुद के लिए ट्रेनिंग की बात करे। नेता तो खुद को खुदा मानता। एक बार संसद पहुंच जाए। तो संसद को बपौती मान चाहे जो जी में आए, कर डालता। अपने लालू यादव को ही लो। बिहार में चारा मैनेज किया। दिल्ली में रेल महकमा मिला। तो अहमदाबाद से लेकर हावर्ड यूनिवर्सिटी तक मैनेजमेंट गुरु हो गए। अब ममता दीदी मैनेजमेंट की कहानी सुनाएंगी। तो पता चलेगा, कहां से डिग्री लाए थे लालू। अब राजन भाई की बात भले सोलह आने सही। पर माने कौन। सदन में बैठे आडवाणी, सुषमा आदि हंस रहे थे। संसद तो सिर्फ वोट बैंक का अखाड़ा। सो ट्रेनिंग की बात पर नेता हंसेंगे ही।
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04/12/2009