Tuesday, December 28, 2010

सर्दी में भी ‘जेठ’ की तपिश महसूस कर रही बीजेपी

 तो मौसम ने कांग्रेस का झंडा मुरझा दिया। मंगलवार को कांग्रेस ने 126वां स्थापना दिवस मनाया। तो मौसमी थपेड़ों के बीच 24 अकबर रोड पर कांग्रेसियों का जमावड़ा लगा। ठंड और बारिश के मिलेजुले कहर के बीच सोनिया गांधी ने झंडा फहराया। पर अबके मौसम की दोहरी मार से झंडे में पहले जैसी लहर नहीं दिखी। घोटालों की फेहरिश्त ने तो तोते उड़ा ही रखे। बाकी कोई भी ऐसा दिन नहीं, जब नए संकट पैदा न हो रहे। तेलंगाना की फांस गले पड़ चुकी। राजस्थान में गुर्जर आंदोलन कांग्रेस सरकार के लिए नासूर बन चुका। पर मौसम की मार से सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी भी हलकान। घोटालों पर कांग्रेस तो शान से कह चुकी- नो जेपीसी। पर भ्रष्टाचार को सरकार के खिलाफ निर्णायक जंग मुद्दा बना चुकी बीजेपी को अब अपनी परछाईं ही सता रही। मुरली मनोहर जोशी के जोश ने बीजेपी के होश फाख्ता कर दिए। सो मंगलवार को विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने ट्विट किया। बोलीं- पीएम की पेशकश निरर्थक। जब पीएसी को मंत्री को बुलाने का अधिकार नहीं। तो पीएम की बात दूर। पीएसी का काम सिर्फ अकाउंट देखना। घोटाले की जवाबदेही और निष्कर्ष तक सिर्फ जेपीसी ही पहुंच सकती। यानी जोशी की दलील को सुषमा ने खारिज किया। सिर्फ सुषमा नहीं, बीजेपी के कई धुरंधर जोशी के जोश से परेशान। सो अंदरखाने जोशी की सक्रियता पर फिर सवाल उठ रहे। पर कांग्रेस अब भी जोशी की मुरीद। सो शकील अहमद बोले- जोशी अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रहे। अगर बीजेपी का आपस में मतभेद, तो वह जोशी को पीएसी से वापस ले ले। या सुषमा स्वराज खुद इस्तीफा दे दें। अब बीजेपी नेताओं में छिड़े कोल्ड वॉर का कांग्रेस खूब लुत्फ उठा रही। जोशी के साथ हमदर्दी पर खुद कांग्रेस नेता ही चुटकी ले रहे। कोई सोमनाथ चटर्जी से तुलना कर रहा। तो कोई आडवाणी से बदला बता रहा। यों आडवाणी से बदले की बात गले उतरने वाली नहीं। पर सोमनाथ से तुलना सटीक बैठ रही। जब मनमोहन की पहली पारी में एटमी डील ने यूपीए-लेफ्ट का तलाक करवा दिया। तो सोमनाथ चटर्जी ने अपनी पार्टी सीपीएम के कहने पर भी स्पीकर की कुर्सी नहीं छोड़ी। उन ने भी संवैधानिक जिम्मेदारी की दुहाई दी। तब कांग्रेस ने सोमनाथ पर भी वैसा ही भरोसा जताया, जैसा अब जोशी पर जता रही। सो आखिर में सीपीएम ने सोमनाथ चटर्जी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया। सोमनाथ ने पार्टी लाइन से हट पद की खातिर इतिहास रच दिया। अब वही काम मुरली मनोहर जोशी कर रहे। जोशी संसद की पीएसी के मुखिया के नाते संवैधानिक जिम्मेदारी निभा रहे। पर बीजेपी उनकी तेजी से मुश्किल में फंसी हुई। जैसे सोमनाथ दादा को यूपीए से लेफ्ट की समर्थन वापसी का फैसला रास नहीं आया था। वैसे ही जोशी को विपक्ष की जेपीसी की मांग रास नहीं आ रही। सो वह पीएसी को ही बेहतर बता रहे। अब सुषमा की यह बात सोलह आने सही- पीएम को बुलाना तो दूर, पीएसी मंत्री को भी नहीं बुला सकती। पर जोशी तो पहले ही कह चुके- यहां पीएम को समन करने जैसी बात ही नहीं। अलबत्ता खुद पीएम ने पेशकश की। तो इस बारे में पीएसी समय आने पर फैसला कर सकती। सो इन हालात में बीजेपी लेफ्ट बनेगी या जोशी सोमनाथ, यह वक्त ही बतलाएगा। पर फिलहाल सिर्फ जोशी ही नहीं, जेठमलानी के बोल भी बीजेपी की पोल खोल रहे। रायपुर की जिला अदालत ने मानवाधिकार कार्यकर्ता डाक्टर विनायक सेन को देशद्रोही बता उम्र कैद की सजा सुना दी। सेन लंबे समय से आदिवासी इलाकों में निस्वार्थ काम करते रहे। पर राज्य सरकार की आंखों में चढ़ गए। सो नक्सली सांठगांठ का आरोप लगा। पर अदालती फैसले ने देश नहीं, दुनिया में भूचाल ला दिया। एमनेस्टी इंटरनेशनल से लेकर दुनिया के नामचीन बुद्धिजीवियों ने फैसले पर सवाल उठाए। पर नक्सलवाद के खिलाफ बंदूक से लडऩे की पक्षधर रही बीजेपी ने फैसले को जायज ठहराया। वैसे भी छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार। कांग्रेस ने तो न्यायिक प्रक्रिया का हवाला देकर बीच का रास्ता अख्तियार कर लिया। पर सुषमा ने ट्विट कर सेन के खिलाफ फैसले को तर्कसंगत बताने की कोशिश की। अब बीजेपी की मजबूरी हो या नीति, पर जेठमलानी ने सारी कसर पूरी कर दी। उन ने सेन को उम्र कैद की सजा को वाहियात फैसला करार दिया। ऊपरी अदालत में पैरवी करने का एलान भी। जेठमलानी बोले- सेन के खिलाफ मुकदमे में कोई दम नहीं। सेन की पैरवी करना मेरे लिए सम्मान की बात होगी। पर बीजेपी के सम्मान का क्या होगा? सो बीजेपी ने एक बार फिर जेठमलानी की राय को निजी बताया। राजीव प्रताप रूड़ी बोले- जेठमलानी वकील हैं, किसी का भी मुकदमा लड़ सकते हैं। बीजेपी ने कुछ नहीं कहा। यानी जेठमलानी के आगे बीजेपी फिर नतमस्तक। जबसे बीजेपी की टिकट पर राजस्थान से राज्यसभा सांसद बने। तबसे यह तीसरा मौका, जब बीजेपी को चौराहे पर ले आए। जब बीजेपी ने भारत-पाक विदेश मंत्री स्तर वार्ता के बाद राज्यसभा में एस.एम. कृष्णा को घेरा। तो जेठमलानी ने वेंकैया-जावडेकर की दलील को धता बता कृष्णा की चुप्पी को शिष्टाचार का तकाजा बताया था। बीजेपी ने कश्मीर के वार्ताकार दिलीप पडगांवकर पर उंगली उठाई। तो जेठमलानी ने इसे बचकानी और अशिष्ट हरकत करार दिया। सचमुच जेठमलानी कोई बीजेपी की नीति से प्रभावित होकर नहीं आए। अलबत्ता राज्यसभा की मेंबरी तो गुजरात की फीस समझिए। कुल मिलाकर सर्दी के मौसम में जोशी और जेठमलानी बीजेपी को गर्मी का अहसास दिला रहे।
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28/12/2010