Monday, January 31, 2011

गर मैं चोर, तो तू डाकू, जय हो लोकतंत्र की!

लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही के दिन अब लद चुके। काहिरा की कहानी इसकी ताजा मिसाल। मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक ने जन दबाव में नई सरकार बना दी। पहली बार उपराष्ट्रपति भी बनाया। पर जनता ने मुबारक को सत्ता से विदा करने का मन बना लिया। सो आंदोलन थमने का नाम नहीं। पर मुबारक तीन दशक से कुर्सी से ऐसे चिपके हुए, हटने का नाम नहीं ले रहे। आंदोलन कुचलने को तानाशाही तरीका अख्तियार कर लिया। पर इतिहास साक्षी, आखिर में जीत जन आंदोलन की ही होती। सो लोकतंत्र को बपौती समझने वालों के लिए ऐसे आंदोलन एक सबक। जैसे हुस्नी मुबारक कुर्सी छोडऩे को राजी नहीं। कुछ वैसे ही अपने सीवीसी पी.जे. थॉमस। सुप्रीम कोर्ट के सवालों और देश भर में हो रही फजीहत के बावजूद थॉमस ताल ठोक कर कह रहे- मैं तो सीवीसी, इस्तीफा क्यों दूं। मनमोहन सरकार भी समझ नहीं पा रही, थॉमस पर क्या रुख अपनाए? कभी बचाव में उतरती, तो कभी सिट्टी-पिट्टी गुम। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एटार्नी जनरल जी.ई. वाहनवती ने दो-टूक झूठ कह दिया- थॉमस की नियुक्ति करने वाले पैनल के सामने चार्जशीट का मामला संज्ञान में नहीं लाया गया। सो बतौर नेता प्रतिपक्ष पैनल में शामिल सुषमा स्वराज ने फौरन मोर्चा खोल दिया। सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगा, खुद हलफनामा दाखिल करने का एलान कर दिया। पर अगले दिन कांग्रेस ने नया पैंतरा आजमाया। दलील दी- मिनिट्स में चार्जशीट की चर्चा नहीं। पर हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे को फारसी क्या। सुषमा स्वराज ने थॉमस की नियुक्ति के फैसले पर दस्तखत के साथ ही लिख दिया था- आई डिसएग्री। यानी बिना चर्चा के कोई ऐसा क्यों लिखेगा। अब सोमवार को खुद होम मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने खुलासा कर दिया- सुषमा स्वराज ने जो कहा, वह सोलह आने सही। पैनल ने थॉमस के चार्जशीट पर चर्चा की थी। पर बहुमत से थॉमस की नियुक्ति का फैसला लिया गया। चिदंबरम ने एक और बात कही- स्वाभाविक रूप से कोई महत्वपूर्ण बात हुई होगी। जिस पर सुषमा असहमत रही होंगी। जब चर्चा हुई होगी, तभी असहमति की बात आई। याद रखिए, बिना चर्चा के असहमति का सवाल ही नहीं उठता। अब होम मिनिस्टर के इस बयान के बाद कांग्रेस क्या कहेगी? चिदंबरम ने तो मिनिट्स की दलील भी खारिज कर दी। कहा- मिनिट्स में चर्चा का ब्यौरा नहीं, सिर्फ फैसला लिखा होता। पर चिदंबरम ने एक बार फिर थॉमस की नियुक्ति को जायज ठहराया। अब एटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में जो कहा, उसे किसकी दलील मानें? अगर सुषमा ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने का एलान न किया होता। तो सरकार अपने ही एटार्नी जनरल की राय को खारिज नहीं करती। सुषमा कोर्ट जाएं, उससे पहले ही सरकार ने सच कबूल लिया। पर झूठ बोलने वाले एटार्नी जनरल का क्या होना चाहिए? यों अब ए.जी. के बचाव में कहा जा रहा- उन ने यह नहीं कहा कि पैनल के सामने थॉमस के चार्जशीट की चर्चा नहीं हुई। अलबत्ता उन ने यह कहा कि पेपर और फाइल सर्कुलेट नहीं किए गए। सो फिर वही बात, एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ का सहारा। सोमवार को कांग्रेस ने थॉमस के  बचाव में कई फाइलें खंगाल डालीं। बीजेपी और लेफ्ट को आईना दिखाते हुए खुद पीछे खड़ी हो गई। कांग्रेस के कानूनदां युवा प्रवक्ता मनीष तिवारी खासे तेवर में बोले- थॉमस के खिलाफ चार्जशीट की बात करने वाली बीजेपी ने भी तो वाजपेयी सरकार के वक्त अयोध्या केस में चार्जशीटेड प्रभात कुमार को केबिनेट सैक्रेट्री बनाया था। जबकि आई.के. गुजराल के पीएम रहते जब प्रभात कुमार का मामला आया था, तो इसी चार्जशीट के आधार पर खारिज कर दिया गया था। फिर तिवारी ने केरल की वामपंथी सरकार को भी याद दिलाया- कैसे केरल सरकार ने अक्टूबर 2006 में थॉमस के खिलाफ मुकदमे की अनुमति मांगी थी। पर सितंबर 2007 में इसी वामपंथी सरकार ने थॉमस को केरल का चीफ सैक्रेट्री बना दिया। अब इसे मनीषियाई दलील कहें या खिसियाई? ऐसी दलीलों का साफ मतलब- अगर मैं चोर, तो तू डकैत। क्या यह लोकतंत्र की आड़ में मनमर्जी नहीं? आखिर सरकार क्या संदेश देना चाह रही? महंगाई, भ्रष्टाचार ने देश की साख पर बट्टा लगा दिया। स्पेक्ट्रम घोटाले में राजा से फिर पूछताछ हुई। पर अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट में दस फरवरी को स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए सीबीआई तेजी का दिखावा कर रही। इधर सिब्बल की बनाई जस्टिस पाटिल कमेटी ने प्रक्रिया की खामी पर अपनी रपट सौंप दी। राजा समेत कई अधिकारियों को जिम्मेदार बताया गया। पर अभी पूरी रपट का खुलासा होना बाकी। रपट सामने आएगी, तो राजनीति भी तय। पर सवाल, देश इस गर्त से कब निकलेगा? भ्रष्टाचार-महंगाई ने निवेश का माहौल बिगाड़ा। नरेगा के ढोल तो सुहाने, पर अब तक बंटे एक लाख छह हजार करोड़ में साठ फीसदी बांटने वाले ही खा गए। श्रम, बीमा, बैंकिंग सुधार अभी भी अधर में। सरकार और सोनिया की एनएसी में एक राय नहीं। रही-सही कसर पर्यावरण के नाम पर जयराम पूरी कर रहे।
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31/01/2011