Monday, November 1, 2010

‘आदर्श’ साए में कांग्रेस का आदर्श अधिवेशन!

तो घो’टाले का मतलब, जिसे घुमा-फिराकर टाल दिया जाए। सो कांग्रेस अब सभी ‘आदर्शवादियों’ को बचाने में जुट गई। हनुमान भक्त बराक ओबामा सचमुच अशोक चव्हाण के लिए हनुमान साबित हुए। सो ‘ओबामा संजीवनी’ पाकर सोमवार को चव्हाण मुंबई लौट गए। पर जाते-जाते कह गए, और भी बहुत सारे काम हैं आदर्श सोसायटी घोटाले के सिवा। इधर चव्हाण की किस्मत की रिपोर्ट बनाने में जुटे प्रणव मुखर्जी ने भी एलान कर दिया, अभी जांच में और वक्त लगेगा। यानी कम से कम दिवाली और ओबामा विजिट तक चव्हाण की कुर्सी को कोई खतरा नहीं। दबी जुबान में अब कांग्रेसी भी कह रहे, राहुल की पसंद को हटाना आसान नहीं। अब चव्हाण की कुर्सी बचेगी या खिसकेगी, यह ओबामा विजिट के बाद ही तय होगा। पर राहुल गांधी की पसंद का हश्र देखिए। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला भी राहुल की पसंद। तमाम झंझावातों के बीच भी राहुल ने उमर का समर्थन किया था। पर उमर का राजनीतिक अनाड़ीपन अब किसी से छुपा नहीं। महाराष्ट्र के सीएम पद पर अशोक चव्हाण भी राहुल की ही पसंद। पर संयोग देखिए, जब दीपावली के मौके पर सोना कुलांचे मार रहा। तभी राहुल के दोनों खरा सोना उमर-अशोक सही मायने में खोटा सिक्का साबित हुए। अब कोई पूछे, आदर्श घोटाले पर राहुल गांधी ने खामोशी की चादर क्यों ओढ़ रखी है? यानी पूरे घटनाक्रम में चव्हाण की कुर्सी बचती दिख रही। विलासराव देशमुख को अपनी मंशा पर पानी फिरता दिखा। तो फौरन अशोक चव्हाण पर हमला बोल दिया। खुद के इरादे को पाक, चव्हाण को नापाक बताने की कोशिश की। कहा- ‘मैंने सीएम रहते आदर्श सोसायटी सिर्फ सेना से जुड़े मौजूदा और रिटायर्ड लोगों के लिए मंजूरी दी थी। पर अशोक चव्हाण ने बतौर राजस्व मंत्री इसके प्रावधान बदल सिविलियन के लिए भी खोल दिया। अगर सोसायटी सिर्फ फौजियों के लिए होती। तो इतनी हाय-तौबा न मचती।’ यानी देशमुख ने सारा ठीकरा चव्हाण के सिर फोड़ दिया। पर सभी ‘आदर्शवादी नंगों’ को कांग्रेस पहचान चुकी। सो जांच कमेटी के सदस्य और महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी एके एंटनी ने विलासराव को कड़ी फटकार लगाई। महाराष्ट्र के सभी कांग्रेसियों को भी जुबान बंद रखने की हिदायत दे दी गई। कांग्रेस की मुश्किल सिर्फ चव्हाण का घोटाले में नाम आना नहीं, अलबत्ता राज्य के सभी बड़े कांग्रेसी फंस रहे। अब अगर चव्हाण की बलि ली गई। तो फिर आदर्श लूट में उछल रहे नामों देशमुख-शिंदे-नारायण राणे कैसे बचेंगे? सचमुच आदर्श सोसायटी घोटाले के हमाम में सभी नंगे हो गए। आदर्श लूट का सिलसिला 2000 से ही शुरु हुआ। जब केंद्र में एनडीए का, तो महाराष्ट्र में शिवसेना के नारायण राणे सीएम थे। सो आदर्श फ्लैट धारकों में नारायण राणे के सिफारिशी और तबके केंद्रीय पर्यावरण मंत्री सुरेश प्रभु का भी नाम सामने आ रहा। यानी आदर्श सोसायटी फ्लैट की फाइल जहां-जहां गई, वही फ्लैट का मालिक बन बैठा। सो धीरे-धीरे इमारत छह मंजिला से इकत्तीस मंजिला बन गई। डीएम से लेकर सीएम तक, सबने ‘आदर्श’ स्थापित कर दिया। अब सबके सब फंस रहे। तो स्थानीय प्रशासन चुस्त हो गया। बीएमसी ने सोसायटी में कारगिल से जुड़े परिवारों को छोडक़र बाकी सभी के पानी के कनेक्शन काट दिए। बिजली विभाग ने 24 घंटे का अल्टीमेटम दे रखा। सो मानवाधिकार और ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट पर रोक लगाने के खिलाफ सोसायटी के कुछ लोग अब बांबे हाईकोर्ट पहुंच गए। अब अगर मामला कानूनी पचड़े में फंसा। तो कांग्रेस को संसद में बचाव का मौका मिल जाएगा। बीजेपी अध्यक्ष नीतिन गडकरी ने तो सोमवार को एलान कर दिया, संसद में इस घोटाले को जोर-शोर से उठाया जाएगा। पर कांग्रेस अभी इस पड़ताल में जुटी कि एनडीए के समय के कुछ ऐसे कागज हाथ लग जाए, जिससे विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब दे सके। कांग्रेस की मुसीबत यह कि आदर्श सोसायटी को कारगिल शहीद के परिवारों से जुड़ा बताया जा रहा। ताबूत घोटाले में कांग्रेस ने कैसे जार्ज फर्नांडिस का तीन साल तक बायकॉट किया और नारे लगाए, खुद नहीं भूली। अब कांग्रेस को डर, कहीं विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाने में सफलता हासिल कर ली। तो कांग्रेस को बेभाव की पड़ेगी। पर अभी यह साबित होना बाकी। अब अगर जमीन महाराष्ट्र सरकार की निकली। कारगिल परिवारों की बात नहीं आई। तो चव्हाण की कुर्सी सलामत रहेगी। कांग्रेस नेता और आदर्श सोसायटी के अहम कर्ताधर्ता कन्हैया लाल गिडवानी तो मीडिया पर ही भडक़े हुए। दावा किया- जमीन महाराष्ट्र सरकार की, खुद सेना ने भी सर्टिफिकेट दिया। हमारे पास लिखित में किसी कांग्रेसी नेता ने सिफारिश नहीं की। पर गिडवानी भूल रहे, खुद तबके सीएम विलासराव देशमुख ने कबूला- आदर्श सोसायटी सेना के लिए मंजूरी दी। अब जरा गिडवानी का एक और बयान देखिए। आदर्श सोसायटी के सी-फेसिंग होने और हाई-फाई होने पर टिप्पणियां हो रही। सो गिडवानी बोले- समुद्र के किनारे बसी झोपड़ट्टी वाले तो चौबीसों घंटे सी-फेसिंग ही रहते, पर कोई सवाल नहीं उठता। अब गिडवानी के बोल को आप क्या कहेंगे? अपनी नजर में चोरी और सीनाजोरी इसे ही कहते हैं। पर आदर्श घोटाले के साए में कांग्रेस का अधिवेशन तीन साल बाद मंगलवार को होने जा रहा। पर क्या लगातार चौथी बार कांग्रेस की कमान संभालने वालीं सोनिया गांधी से कोई नए आदर्श की उम्मीद करें? सचमुच ऐसे ‘आदर्श’ को तो भ्रष्टाचार भी सलाम ठोकती।
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01/11/2010