Wednesday, October 20, 2010

लो अब गाली-गलौज का कॉमनवेल्थ भी हुआ शुरू

कॉमनवेल्थ घोटाले की कड़ी से कड़ी जुडऩे लगी। पहले दिन बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल निशाने पर रहे। तो दूसरे दिन खेल गांव बनाने वाली कंपनी एम्मार-एमजीएफ का खेल बिगड़ गया। डीडीए के पास जमा 183 करोड़ की बैंक गारंटी जब्ती का नोटिस जारी हो गया। पर अभी तो सिर्फ ठेका लेने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसा। यक्ष प्रश्न, ठेका देने वाले नौकरशाहों-नेताओं ने कितना खाया, इसकी परतें कब उधड़ेंगी? अब ठेकेदारों पर कार्रवाई में तेजी दिखाने से क्या होगा? ठेकेदार तो अपना टेंडर भरते। यह तो देने वाले पर निर्भर, किस कंपनी को ठेका दे। सो सवाल, ठेका देते वक्त नौकरशाहों-नेताओं ने होश क्यों गंवाया? अब जब सब कुछ लुट गया, तो होश में आ रहे। सो फिर वही सवाल- सब कुछ लुटा के होश में आए, तो क्या किया। दिन में चिराग जलाए, तो क्या किया। अब डीडीए को एम्मार-एमजीएफ के काम में खोट नजर आ रहा। अपनी खाल बचाने को सारा ठीकरा कंपनी के सिर मढ़ दिया। पर आर्थिक मंदी के दौर में जब कंपनी ने हाथ पीछे खींच लिए, तो डीडीए ने अधिक कीमत देकर 333 फ्लैट खरीद लिए। एम्मार-एमजीएफ को करीबन 700 करोड़ का बेलआउट पैकेज दिया गया। पर तब डीडीए ने कोई खोट नहीं बताया। अब रपट में कह रही- मंजूरी से अधिक फ्लैट बनाए गए। नक्शे में भी हेर-फेर कर एरिया बदल दिया गया। पर डीडीए पर कौन भरोसा करे। दुनिया की भ्रष्ट संस्थाओं में भारत से अपनी डीडीए ही मुकाबले में टिक पाती। डीडीए तो भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी। सो जब कॉमनवेल्थ लूट में मौका मिला, तो दिल खोलकर कंपनी को सरकारी धन लुटाया। कंपनी से कमीशन लेकर अपनी जेब भरी। पर विडंबना देखिए, जो डीडीए खुद संदेह के घेरे में, वह दूसरी कंपनी पर आरोप लगा रही। अब ऐसे में भ्रष्टाचार की जांच कैसे होगी, यह जांच करने वाले ही जानें। तीन महीने में जांच रपट सौंपे जाने का एलान तो हो गया। पर दबी जुबान शीलावादी नौकरशाह कहते फिर रहे- तीन महीने में जांच कोई खालाजी का घर नहीं। कम से कम छह महीने तो लगेंगे ही। सो कहीं ऐसा न हो, कॉमनवेल्थ की जांच बोफोर्स घोटाले की तरह हो जाए। जहां घोटाले की रकम से कई गुना अधिक जांच में खर्च हो गए। बीजेपी ने तो मौजूदा जांच को पहले ही बेमतलब बता दिया। नितिन गडकरी के बाद बुधवार को प्रकाश जावडेकर बोले- जब मौजूदा सीएजी-सीवीसी जांच में सरकारी महकमों पर सहयोग न करने का आरोप लगा रहे। तो पूर्व सीएजी भला क्या जांच कर लेंगे? जांच की आंच सचमुच बड़ी मछलियों तक पहुंचेगी, उम्मीद कम। शायद कांग्रेस भी बखूबी समझ रही, सो फिलहाल शुरुआती तेवर सख्त दिखाने को ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही। बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय ने आयोजन समिति के महासचिव ललित भनोट को तलब कर लिया। लगे हाथ सुरेश कलमाड़ी से भी पूछताछ का सुर्रा छोड़ दिया। अब कांग्रेस किसे बलि का बकरा बनाएगी, यह बाद की बात। पर सुधांशु मित्तल ने तो मोर्चा खोल दिया। मंगलवार को इनकम टेक्स-सीबीआई के छापे पड़े। दिन भर मित्तल ही सुर्खियों में रहे। सो बुधवार को मित्तल सफाई देने आ गए। उन ने छापेमारी को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया। अब मित्तल से कांग्रेस राजनीतिक बदला लेगी, ऐसी मित्तल की राजनीतिक हैसियत नहीं। गर मित्तल अपनी ही पार्टी बीजेपी के लिए ऐसा कह रहे, तो माना जा सकता। मित्तल को लेकर तो बीजेपी में लोकसभा चुनाव के वक्त जबर्दस्त सिर-फुटव्वल हो चुकी। यों बीजेपी भी मित्तल को अपना सगा मानने से इनकार कर रही। ताकि घोटाले की जांच में मित्तल फंसे, तो आसानी से दूरी बना सके। पर जरा मित्तल की सफाई भी सुनिए। बोले- जहां 77 हजार करोड़ का घोटाला, वहां 29 लाख की क्या बिसात? बकौल मित्तल, उनकी कंपनी को सिर्फ 29 लाख का ठेका मिला। तो वह कॉमनवेल्थ घोटाले के चोरों के सरताज कैसे हो गए। यों मित्तल की बात में दम। पर घोटाला 77 हजार करोड़ का हो या 29 लाख का। घोटाला तो घोटाला ही होता है। सो मित्तल की ईमानदार सफाई में बेईमानी की जबर्दस्त बू आ रही। करीब-करीब ऐसी ही ईमानदार सफाई शीला सरकार, कलमाड़ी एंड कंपनी, डीडीए आदि-आदि सभी दे रहे। पर ईमानदार सफाई में बेईमानी खुद-ब-खुद जगजाहिर हो रही। सो भ्रष्टाचार के मामले में चोर-चोर मौसेरे भाई अब एक-दूसरे के खिलाफ गाली-गलौज पर उतर आए। अब जिसका नाम उछल रहा, वही खीझ रहा। मंगलवार को गडकरी ने पीएम पर निशाना साधा। तो आरोपों का जवाब देने की बजाए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी पर्सनल हो गए। कांग्रेस खिसियानी बिल्ली की तरह गडकरी पर लपकी। प्रवक्ता ने गडकरी को बिगड़ैल बच्चा बताया। मजाक बनाते हुए बोले- बीजेपी की पूरी प्रेस कांफ्रेंस का निचोड़ यही- खोदा पहाड़, निकला गडकरी। सो बुधवार को तो बीजेपी आग-बबूला दिखी। प्रकाश जावडेकर ने चेतावनी दे दी। शीशे के घर में रहने वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते। बोले- कांग्रेस नेता भाषा में संयम बरतें, वरना वैसी भाषा का इस्तेमाल करना हमें भी आता है। उन ने कांग्रेस को इशारा भी कर दिया, अगर बीजेपी के अध्यक्ष को गाली देना बंद नहीं किया। तो यह न भूले, कांग्रेस के पास भी अध्यक्ष है। हम भी सोनिया पर फूल नहीं बरसाएंगे। यानी सोनिया गांधी के खिलाफ पर्सनल टिप्पणी की धमकी दे दी। सो भ्रष्टाचार की जांच का क्या हश्र होगा, पता नहीं। पर अब गाली-गलौज का कॉमनवेल्थ शुरू मानिए।
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20/10/2010