Monday, April 19, 2010

थरूर तो गए, अब थरथरा रहा आईपीएल

न खुदा ही मिला, न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे, न उधर के। आखिर सरकार की थू-थू करा शशि थरूर विदा हो गए। सुनंदा पुष्कर ने भी कोच्चि टीम में अपने शेयर तज दिए। सो सारा एपीसोड देख चंद्रमोहन याद आ गए। चंद्रमोहन यानी भजनलाल के बेटे। बाप को कांग्रेस ने 2004 में सीएम नहीं बनाया था। तो तुष्टीकरण फॉर्मूले में बेटा चंद्रमोहन डिप्टी सीएम हो गया। पर प्यार के आगे ओहदा क्या चीज। सो पहली बीवी के रहते चंद्रमोहन ऐसे इश्क में पड़े। मजहब बदल खुद चांद मोहम्मद और प्रेमिका अनुराधा फिजां बन गईं। फिर डिप्टी सीएम की कुर्सी को ठुकरा फिजां संग नई पारी की शुरुआत। अब सुनंदा की वजह से थरूर की कुर्सी गई। तो कोई पूछे, और कितने चांद मोहम्मद होंगे कांग्रेस में? वाकई प्यार अंधा होता है, तभी तो चाहने वाले दुनियादारी की परवाह नहीं करते। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल खड़ी कर दी। दुनिया का आठवां अजूबा बना डाला। यहां तो सिर्फ 70 करोड़ के शेयर और विदेश राज्य मंत्री की छोटी सी कुर्सी थी। वह भी महज एक दोस्त की खातिर। वैसे भी मनमोहन के राज्य मंत्रियों की व्यथा किसी से छुपी नहीं। पर दुनिया भी कम जुल्मी नहीं। ताजमहल के बनाने और खर्च या कारीगरों के हाथ काटे जाने की घटना पर तो कभी इतनी हायतौबा नहीं मची। जितनी मुफ्त शेयर को लेकर मची। अब भले थरूर का सुनंदा से रिश्ता शादी तक नहीं पहुंचा। पर इस्तीफे ने साफ कर दिया, सुनंदा को मुफ्त में 70 करोड़ के शेयर दिलाए थे। अब कोई बड़े ओहदे पर बैठा व्यक्ति यों ही पद का बेजा इस्तेमाल तो नहीं करेगा। यों मनमोहन का दिल अबके भी थरूर को हटाने को तैयार नहीं था। पर हालात और दस्तावेजी सबूतों ने मनमोहन को मजबूर कर दिया। वैसे भी मनमोहन अपना वीटो लगा एक बार थरूर को कांग्रेस से अभयदान दिला चुके। तब थरूर ने पं. नेहरू की विदेश नीति को कटघरे में खड़ा किया था। पर दुनिया में राजनय कौशल से अपनी साख बनाने वाले थरूर अबके थोड़ी चूक कर गए। सो अपने ही देश में साख पर बट्टा लगा लिया। पर थरूर-मोदी के बीच विवाद ने देश का इतना भला किया, बोतल से भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर निकाल दिया। विपक्षी महाजोट ने भी थरूर की विदाई को सराहा। पर ललित मोदी को छोडऩे के मूड में कोई भी नहीं। विपक्ष ने सोमवार को सरकार के हाथ और मजबूत कर दिए। अब विपक्ष ने सीधे आईपीएल को निशाने पर लिया। सबका आरोप, आईपीएल में स्विस बैंक, मॉरीशस और दुबई के रास्ते काले धन को सफेद बनाया जा रहा है। सीपीआई के गुरुदास दासगुप्त ने संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) से जांच की मांग की। समूचे आईपीएल पर बैन लगाने की पैरवी भी। मुलायम ने विदेशी खेल बताया। शरद यादव ने सट्टेबाजी का अड्डा। पर लालू यादव बैन के हिमायती नहीं। सो उन ने क्रिकेट का राष्ट्रीयकरण करने का सुझाव रखा। ताकि क्रिकेट सीधे खेल मंत्रालय के अधीन हो। यानी लालू की खुन्नस बीसीसीआई से। पर लालू की एक बड़ी टीस भी सदन में उभर कर सामने आ ही गई। लालू के बेटे तेजस्वी यादव भी क्रिकेटर। आईपीएल की डेयरडेविल्स टीम में भी शामिल। सो आप खुद लालू वाणी पर गौर फरमाएं- मैं बेटे को मैच खेलते देखने गया था। पर वहां देखा कि ओवर के बीच में मेरा बेटा तौलिया और पानी लेकर पिच की ओर दौड़ा। जहां वह पसीना पोछ रहा था। मैं यह देखकर शर्मसार हो गया कि यादवों की देश में...। अब लालू की टीस की वजह तो आप समझ गए होंगे। पर संसद में मुद्दा गरमाया। तो अब तक आईपीएल की निगरानी से छिटक रहे प्रणव मुखर्जी तैयारी के साथ सदन में पहुंचे। वैसे भी थरूर को विदा कर चुकी सरकार का मनोबल बढ़ा हुआ। सो घर की सफाई के बाद अब बाहर का बीड़ा उठाया। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने एलान कर दिया, चाहे जो भी हो, अगर दोषी पाया गया, तो बख्शा नहीं जाएगा। इधर प्रणव दा ने एलान किया। उधर इनकम टेक्स विभाग ने आईपीएल-बीसीसीआई को नोटिस भेज दिया। दस सवालों के जवाब के साथ-साथ आईपीएल की पूरी बैलेंस शीट, सभी फ्रैंचाइजी मालिकों का नाम-पता और फंडिंग का ब्यौरा मांग लिया। वह भी 23 अप्रैल दोपहर तीन बजे से पहले-पहले। यानी थरूर गए, तो अब ललित मोदी की बारी। यों बीसीसीआई मोदी की आईपीएल कमिश्नरी छीनने का मन बना चुका। तो खुफिया और इनकम टेक्स विभाग को कई चौंकाने वाले सबूत मिल रहे। कथित तौर पर खुफिया रपट में कहा गया, चार साल पहले मोदी के पास कर्ज चुकाने को पैसे नहीं थे। अब मोदी के पास निजी विमान, यॉट, लक्जरी गाडिय़ा और दुनिया के तमाम ऐशोआराम हैं। यानी बीसीसीआई हटाए या नहीं हटाए। पर मोदी सरकारी शिकंजे में खुद ही फंस गए। ट्वीटर के जरिए थरूर को फंसाने की होशियारी दिखाई। पर अब बोरिया-बिस्तर गोल होता दिख रहा। यों मोदी की बीजेपी से नजदीकियां जगजाहिर। सो बीजेपी अब बचाव की मुद्रा में कह रही, जो भी दोषी हो, उस पर कार्रवाई हो। अप्रवासी मामलों के मंत्री वायलार रवि ने भी मोदी की बीजेपी से नजदीकी पर सवाल उठाया। पर कांग्रेसी जयंती नटराजन ने सीधा निशाना साधा। बीजेपी में ऐसे मामलों पर कार्रवाई का साहस ही नहीं। अब जो भी हो, पर कांग्रेस ने भी साहस कब दिखाया, सबको मालूम। अगर दस्तावेजी सबूत न मिलते, तो थरूर फिर ट्वीटर पर इठलाते मिल जाते।
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19/04/2010