Monday, April 26, 2010

कटौती प्रस्ताव पर कटी विपक्षी एकता की पतंग

संसद में शोरगुल थमने का नाम नहीं। पर संसद से पहले राज्यपाल प्रभा राव को अपनी श्रद्धांजलि। सोमवार को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वाकई सहज, सीधी, सरल थीं प्रभा राव। पर कहते हैं, किसी व्यक्ति की खासियत जाननी हो, तो विरोधियों के शब्दों को देखो। संवैधानिक पद पर आसीन होने से पहले प्रभा राव कांग्रेस में थीं। पर उनके निधन के बाद बीजेपी के सांसद अर्जुन राम मेघवाल का संदेश काबिल-ए-गौर। मेघवाल ने लिखा- प्रभा राव ने सार्वजनिक जीवन में कुछ ऐसे मापदंड तय किए हैं, जिससे सार्वजनिक जीवन जीने वाला हमेशा प्रेरणा लेता रहेगा। यानी राजस्थान ही नहीं, देश के लिए अपूरणीय क्षति। अब मंगलवार को संसद भी श्रद्धांजलि देगा, फिर देर शाम वर्धा में दाह संस्कार। सो अब बात संसद में चल रहे स्यापे की। विपक्ष की तरकश में रोज नए मुद्दे जुट रहे। सरकार ऐसे मुद्दे थमा रही कि विपक्ष भी कनफ्यूज हो चुका। किस मुद्दे को उठाएं, किसे छोड़ें, समझ नहीं पा रहा। सो एक दिन आम आदमी का, तो दूसरे दिन खास आदमी का और तीसरे दिन अपनी भलाई भी देख लेता। सो पहले महंगाई का मुद्दा उठाया। फिर बीच में आईपीएल और मोदी-थरूर आ गए। अब नया मुद्दा राजनेताओं के फोन टेपिंग का। सो सोमवार को भी संसद की छुट्टी हो गई। दोनों सदनों में विपक्ष का रिंग टोन इस कदर गरजा, कामकाज ठप करना पड़ा। लोकसभा में आडवाणी ने मोर्चा संभाला, तो इमरजेंसी की याद दिलाई। जेपीसी गठित करने की मांग हुई। लगे हाथ अंग्रेज जमाने के टेलीग्राफ एक्ट में बदलाव की मांग कर दी। पर बात आगे तब बढ़े, जब सरकार टेपिंग का आरोप मान ले। यहां तो होम मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने टेपिंग से इनकार कर दिया। पीएम ने जेपीसी की मांग ठुकरा दी। यों संसद में अभी पीएम का बयान नहीं हुआ। सोमवार को प्रणव दा ने लाख मिन्नतें कीं, साढ़े तीन बजे मनमोहन जवाब देंगे। पर विपक्ष को तो अपने मुद्दे की धार बनानी थी। भले संसद का कीमती वक्त कौड़ी क्यों न हो जाए। पर बात मुद्दे की, तो हमाम में नंगा कौन नहीं। सिस्टम तो सत्ताधारी दल का रखैल बन चुका। सो दुरुपयोग करने में कोई पीछे नहीं। तभी तो गाहे-ब-गाहे फोन टेपिंग के मुद्दे उठते रहते। अब सोमवार को टेपिंग मुद्दे का कोई हल नहीं निकला। पर मंगलवार को संसद में नया मुद्दा होगा। लोकसभा में सरकार गिलोटिन लाएगी। यानी सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगें एक साथ वोट के लिए रखी जाएंगी। जिसका इंतजार विपक्ष समेत समूचे देश को। पेट्रोल-डीजल की कीमतें प्रणव दा ने बजट में बढ़ाई थीं। तो दो महीने पहले 26 फरवरी को हाथों में हाथ लेकर समूचे विपक्ष ने एलान किया था- कटौती प्रस्ताव लाकर कीमतें रोल बैक को मजबूर कर देंगे। पर ठीक दो महीने बाद विपक्षी कुनबा बिखर गया। यों अब भी एनडीए-लेफ्ट संग होने का दंभ भर रहे। पर लालू-मुलायम की चाल टेढ़ी हो गई। बीएसपी से तो हमेशा की तरह कांग्रेस ने सौदेबाजी कर ली। यानी अब विपक्षी एकता पस्त, तो कांग्रेस मस्त हो रही। कांग्रेस ने तो कह दिया- विपक्ष यह न भूले, यूपीए-वन से मजबूत है यूपीए-टू। सो वित्तीय प्रस्ताव पास हो जाएंगे। अब विपक्ष बिखर रहा हो, तो सरकार गदगद क्यों न हो। यों एहतियातन कांग्रेस ने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया। व्हिप तो बीजेपी ने भी जारी किया। पर जरा राजनीति के असल दांव-पेच देखते जाइए। कहां 26 फरवरी को समूचे विपक्ष ने खम ठोका था, महंगाई के खिलाफ सरकार के घुटने टिकवा देंगे। पर दो महीने बाद खुद घुटने टेकता दिख रहा। बीजेपी ने पांच दिन पहले ही विशाल रैली भी की। पर विपक्षी कुनबे में बिखराव ने हालत पस्त की, या सरकार से कुछ सांठगांठ, यह मालूम नहीं। अब बीजेपी सरकार को मजबूर करने का खम नहीं ठोक रही। अलबत्ता बीजेपी सिर्फ इतना चाह रही, कम से कम एनडीए के 153 सांसदों के वोट रजिस्टर्ड हो जाएं। कटौती प्रस्ताव को लेकर इतनी हायतौबा मचाई। अब नहीं लाए, तो भद्द पिटेगी। सो रस्म अदा करने को मंगलवार को कटौती प्रस्ताव आएगा। बीजेपी को डर, कहीं ऐसा न हो, हंगामे में सरकार वित्तीय प्रस्ताव पास करा ले जाए। वैसे भी हंगामाई सरदारों लालू-मुलायम से सरकार की जुगलबंदी हो चुकी। सो कहीं कटौती प्रस्ताव के पक्ष में नंबर अधिक दिखा। तो हंगामे के लिए आईपीएल और फोन टेपिंग जैसे बड़े मुद्दे। वैसे भी सोमवार को विपक्षी एकता में दरार यहीं से पड़ी। बीजेपी-लेफ्ट ने फोन टेपिंग उठाया। तो लालू-मुलायम आईपीएल चाहते थे। सो लालू को यह भी मालूम न था, मंगलवार को कटौती प्रस्ताव आने वाला। अब जरा आम आदमी के पहरेदार विपक्षी दलों के चेहरे आप खुद देख लो। मंगलवार को गैर यूपीए, गैर एनडीए वाले तेरह दलों ने भारत बंद का एलान कर रखा। सो उधर महंगाई के खिलाफ भारत बंद होगा। तो इधर संसद में महंगाई का मुद्दा ही डंप हो जाएगा। विपक्ष का आखिरी हथियार है कटौती प्रस्ताव। सो उसके बाद विपक्ष से कैसी उम्मीद। विपक्ष को तो अब आईपीएल के पोस्टमार्टम और फोन टेपिंग मुद्दे में सुर्खियां नजर आ रहीं। सो आम आदमी के हित में अब मजबूती से खड़ी नहीं। सिर्फ और सिर्फ विरोध दर्ज कराने की रस्म निभाना चाहती है बीजेपी। सो जब विपक्ष ही सरेंडर कर चुका। तो भला आम आदमी की क्या बिसात। सो कटौती प्रस्ताव आएगा तो मंगलवार को। पर विपक्षी एकता की पतंग तो सोमवार को ही कट गई।
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26/04/2010