Friday, December 18, 2009

वाजपेयी को हैप्पी बर्थ-डे कहेगी 'नई भाजपा'

इंडिया गेट से
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वाजपेयी को हैप्पी बर्थ-
डे कहेगी 'नई भाजपा'
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 संतोष कुमार
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              महीने भर में ही अपने सांसद उकता गए। सो सदन के कामकाज में दिल नहीं लग रहा। सरकार भी अपना कामकाज निबटा चुकी। सो सदन चले या न चले, कोई फर्क नहीं पड़ता। महंगाई पर बुधवार को लोकसभा ठप रही। लगे हाथ तेलंगाना का मुद्दा समूचे सदन पर भारी पड़ रहा। तेलुगुदेशम के चार एमपी हाथ में बैनर-पोस्टर लिए रोजाना वैल में घुस आते। तो उधर कुछेक कांग्रेसी भी उछलने लगते। यूनाइटेड आंध्र के लिए रोज यही ड्रामा चल रहा। बाकी कुछ ऐसे भी सांसद, जो बोडोलैंड की तख्ती उठाकर उछलने लगते। तो कोई मिथिलांचल, तो कोई विदर्भ, तो कोई पूर्वांचल का मुद्दा उठा शोर मचाते। यानी कुल चार-छह सांसद मिलकर सदन ठप करा रहे। गुरुवार को तो महिला आरक्षण बिल पर स्टेंडिंग कमेटी की रपट ने ही बखेड़ा खड़ा करा दिया। कमेटी ने गीता मुखर्जी कमेटी की रपट को ही जस का तस अमल में लाने की सिफारिश कर दी। यानी संसद और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया। पर स्टेंडिंग कमेटी की रपट से ही हंगामा हो गया। लोकसभा में रपट पेश हुई। तो मुलायमवादी वैल में घुस आए। पीछे-पीछे लालू भी आ गए। तो स्टेंडिंग कमेटी की रपट वापस लो, के नारे लगे। यों नेताओं की चुस्ती-फुर्ती का नमूना देखिए। स्टेंडिंग कमेटी की रपट में सिर्फ मुलायमवादियों ने ही असहमति का नोट दिया। बाकी लालू हों या शरद यादव। असहमति नोट देने की जहमत नहीं उठाई। अब अगर शुक्रवार को भी हालात ऐसे ही रहे। तो सरकार लोकसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करा लेगी। पर राज्यसभा शायद सोमवार को भी चले। यों बीजेपी की मुराद तो यही थी, संसद के दोनों सदन सोमवार तक चलें। ताकि सदन में क्लाइमेट चेंज पर बहस हो। सोमवार को ही पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग का भी 'क्लाइमेट' बदल जाए। अब राज्यसभा में तो सोमवार तक का कामकाज। पर लोकसभा में सरकार का रुख साफ नहीं। सो बीजेपी ऊहापोह में फंस गई थी। पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग कब करे। आडवाणी पर संघ का दबाव बढ़ चुका। सो आडवाणी अपनी विरासत सुषमा स्वराज को सौंपने को तैयार हो गए। बाकायदा तय हुआ, सोमवार को आडवाणी बतौर नेता विपक्ष आखिरी बार सांसदों को संबोधित करेंगे। पर सरकारी ऊहापोह था। सो सुषमा स्वराज ने कहा, अगर लोकसभा सोमवार तक नहीं चली। तो पार्लियामेंट्री पार्टी मीटिंग नहीं होगी। पर बीजेपी में कुछ अहम फैसले सुषमा के बयान के उलट होते। अब देखो, सुषमा ने एक-दो दफा नहीं, बार-बार कहा- 'आडवाणी पंद्रहवीं लोकसभा के लिए नेता विपक्ष चुने गए। सो पूरे पांच साल पद पर रहेंगे।' पर आडवाणी की विदाई की तारीख तय हो गई। सुषमा खुद आडवाणी की उत्तराधिकारी होने जा रहीं। सो आडवाणी की पैरवी में ऐसा कहा, तो कुछ गलत भी नहीं। थोड़ा और पीछे जाएं, तो जिन्ना एपीसोड याद करिए। आडवाणी ने पद से इस्तीफा दे दिया। तो बीजेपी ने तब मना लिया। पर संघ ने अध्यक्षी छोडऩे का अल्टीमेटम थमा दिया। फिर भी सुषमा स्वराज से बीजेपी हैड क्वार्टर में सवाल हुआ। तो सुषमा का जवाब क्या था, आप खुद देखिए। उन ने तमतमाते हुए कहा था- 'क्या आप लोगों को थाली पीट-पीटकर बताऊं कि आडवाणी पार्टी अध्यक्ष का अपना टर्म पूरा करेंगे।' पर हुआ क्या। सुषमा ने इधर बयान दिया, करीब दो-तीन महीने बाद ही चेन्नई वर्किंग कमेटी में आडवाणी ने अध्यक्षी छोडऩे की तारीख का एलान कर दिया। अब इन उदाहरणों का हवाला इसलिए दिया, ताकि कुछ बड़े मुद्दों पर सुषमा के बयान का मतलब आप खुद से भी निकाल सकें। अब यह तो तय हो गया, शुक्रवार को शाम साढ़े पांच बजे एनेक्सी में पार्लियामेंट्री पार्टी की अहम बैठक होगी। आडवाणी पद छोडऩे की पेशकश करेंगे। तो 'परंपरा' के मुताबिक आडवाणी की मनुहार होगी। फिर कुछ देर बाद पार्लियामेंट्री पार्टी से संविधान संशोधन की हामी भरवाई जाएगी। ताकि आडवाणी को संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया जा सके। जैसे कांग्रेस में सोनिया गांधी। फिर अगले दिन शनिवार को बीजेपी दफ्तर में संसदीय बोर्ड की मीटिंग होगी। तो शायद प्रस्ताव पारित कर आडवाणी के कसीदे पढ़े जाएं। फिर वहीं सुषमा स्वराज के नाम को हरी झंडी दी जाएगी। यों संसदीय बोर्ड की मीटिंग का मकसद नितिन गडकरी के नाम पर मुहर लगाना। पर पार्लियामेंट्री पार्टी की मीटिंग सोमवार के बजाए शुक्रवार को ही हो रही। सो आडवाणी-राजनाथ की विदाई और नितिन गडकरी की ताजपोशी का औपचारिक एलान शनिवार को होगा। यानी 25 दिसंबर तक बीजेपी का चेहरा बदल जाएगा। क्रिसमस और वाजपेयी के जन्मदिन से पहले बीजेपी सजधज कर तैयार होगी। ताकि वाजपेयी को हैप्पी बर्थ-डे कहने जाएगी नई बीजेपी। बीजेपी के एक बड़े नेता ने आडवाणी के कमरे में अनौपचारिक मीटिंग के बाद दो-टूक कहा- '25 दिसंबर तक बीजेपी में सभी बड़े बदलाव हो जाएंगे। फिर 25 दिसंबर से दो जनवरी तक छुट्टïी होगी। ताकि सब हल्के-फुल्के माहौल में नया साल मना सकें।'
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17/12/2009

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