Wednesday, March 3, 2010

विपक्षी महाजोट से कितने परेशान, पीएम ने बता दिया

तेल के कुंए में बेधड़क डुबकी तो लगा ली। पर अब बाहर निकलने को कांग्रेस हाथ-पैर मार रही। बुधवार को भी दोपहर तक संसद के दोनों सदन ठप रहे। प्रणव दादा को इतनी मशक्कत बजट बनाने में भी न करनी पड़ी होगी। जितनी बजट से लगी चोट को सहलाने में करनी पड़ रही। अब दादा कभी कांग्रेसी सांसदों को सफाई देते फिर रहे। तो कभी यूपीए के घटक दलों की मान-मनोव्वल कर रहे। अगर कीमतें बढ़ानी ही थीं, तो जैसे बजट से पहले फर्टीलाइजर की बढ़ाईं। पेट्रोल-डीजल के कुएं में भी तभी डुबकी लगा लेते। तो भले संसद में शुरुआती हंगामा होता। पर विपक्ष को कटौती प्रस्ताव लाने का हथियार नहीं मिलता। वैसे भी 22 फरवरी को संसद का सत्र शुरू हुआ। पर अब तक एक भी दिन प्रश्रकाल नहीं चला। ऊपर से विपक्ष की अनौखी एकजुटता ने सरकार को बेदम कर रखा। पर सरकार की अकड़ देखिए। कीमतें वापस लेने को राजी नहीं। अलबत्ता फूट डालो, राज करो की नीति बना ली। विपक्ष की एकता में सेंध लगाने को महिला आरक्षण बिल पर तेजी दिखा दी। आठ मार्च को अंतर्राष्टï्रीय महिला दिवस। सो सरकार बिल पास कराने को कदम बढ़ाएगी। ताकि महिला बिल में कोटा तय करने के पैरोकार तीनों यादव विपक्षी महाजोट से अलग हो जाएं। तीनों यादव- यानी शरद, मुलायम, लालू। पर यह कैसा महिला हित? एक तरफ तो 33 फीसदी आरक्षण दिलाने की कोशिश। दूसरी तरफ पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाकर हर घर की किचन मिनिस्टर यानी महिलाओं का बजट बिगाड़ दिया। पर शरद हों या मुलायम, अपना इरादा साफ कर दिया। विपक्ष की एकजुटता मुद्दों पर बनी। सो टूटेगी नहीं, अलबत्ता सरकार को तोड़ देगी। अब विपक्ष ने जनता तक आवाज पहुंचा बुधवार को संसद चलने दी। ताकि सरकार को सदन के भीतर घेरा जाए। बीजेपी और लेफ्ट ने तो मंगलवार की शाम ही तय कर लिया था। सिर्फ हंगामा खड़ा करना अपना मकसद नहीं। सुषमा स्वराज ने खुद वासुदेव आचार्य और गुरुदास दासगुप्त से बात की। फिर बुधवार को सुबह एनडीए की मीटिंग हुई। तो शरद यादव ने बताया, मुलायम सिंह यादव सदन चलने देने के पक्ष में नहीं। सो फिर सुषमा-शरद-दासगुप्त ने मुलायम से बात की। पर मुलायम एकदम से पीछे हटने को राजी नहीं। आखिर विपक्ष की एकजुटता बरकरार रखना भी बीजेपी के लिए इस वक्त बड़ी चुनौती। सो तय हुआ- हंगामा भी करेंगे, बहस भी करेंगे। दोपहर दो बजे तक दोनों सदन ठप रहे। लोकसभा में पीएम का प्रश्रकाल था। सो पीएम से सवाल पूछा गया। ऐसी क्या मजबूरी थी, जो आकाश में ही कीमतें वापस न लेने का खम ठोका। विपक्ष को गुस्सा इस बात का, पीएम ने अकड़ क्यों दिखाई। अगर पीएम सदन में बात रखते। तो विपक्ष को नागवार न गुजरता। पर हंगामे की रणनीति पहले से तय थी। सो दोनों सदन ठप हो गए। दोपहर में राष्टï्रपति के अभिभाषण पर बहस शुरू हुई। तो कांग्रेस के राव इंद्रजीत सिंह ने मोर्चा संभाला। यों राव इंद्रजीत मनमोहन की पहली पारी में रक्षा राज्यमंत्री रह चुके। सो बहस में कुछ ज्यादा ही रक्षात्मक मुद्रा में दिखे। जैसे महंगाई पर बहस में संजय निरुपम गोल-गोल घुमाते रहे। राव इंद्रजीत उनसे कहीं कम नहीं दिखे। लालू यादव को तो दो बार उठकर पूछना पड़ा, आखिर राव इंद्रजीत कहना क्या चाह रहे। तीसरे नंबर पर जब आडवाणी खड़े हुए। तो उन ने भी कहा- राव इंद्रजीत ने क्या मुद्दे उठाए, समझ नहीं आया। पर विपक्ष के हमलों से सरकार कितनी परेशान, यह पीएम के बार-बार दखल देने से साफ हो गया। एनडीए का कार्यकारी अध्यक्ष बनने और बीजेपी संसदीय दल का अध्यक्ष चुने जाने के बाद आडवाणी की पहली स्पीच थी। सो लगा, आडवाणी जिम्मेदारी के बोझ से मुक्त होकर बोल रहे। उन ने पुराने मुद्दे ही उठाए। पर एक-एक मुद्दा इस तरीके से उठाया, मानो दिल से व्यवस्था में आमूल-चूल बदलाव चाह रहे। आडवाणी के भाषण के वक्त सदन में मनमोहन-सोनिया भी मौजूद थे। अब आडवाणी ने पुरानी बात ही कही। पर सरकार किस कदर परेशान, पीएम ने भड़ककर दिखाया। आडवाणी ने वन रेंक, वन पेंशन का वादा याद दिलाया। तो पीएम ने कहा, वादा पूरा किया। फिर इसी मुद्दे पर दुबारा उठकर बोले, वित्तमंत्री ने जो कहा, उसे लागू किया जा रहा। आडवाणी को नसीहत दी, असैन्य और सैन्य वर्ग में दरार पैदा न करें। फिर कश्मीर नीति पर बात हुई। आडवाणी ने ओबामा के आगे सरकार को सरेंडर बताया। तो पीएम भड़क गए। जवाब दिया- 'मुझे हैरानी हो रही, आप इस फोरम पर यह मुद्दा उठा रहे। मैंने कई बार ओबामा से बात की है। पर यूएस की पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं आया।Ó फिर आडवाणी ने कश्मीर पर बातचीत का ब्यौरा मांगा। तो भड़के पीएम बोले- 'मैं आपसे सवाल पूछता हूं, जब आपके राज में जसवंत सिंह ने अमेरिकी विदेश उपमंत्री स्ट्रोव टालबोट से दर्जनों बार बातचीत की। तो क्या आपने संसद को इसकी जानकारी दी। आप कैसे उम्मीद करते हैं कि मैं आपके काल्पनिक सवालों का जवाब दूंगा।Ó अब यूएस की नीति में क्या बदला, नहीं बदला। इसकी जानकारी मनमोहन देंगे? बेहतर होता, मनमोहन यह कहते, किसी का दखल नहीं, हम 1994 के प्रस्ताव से बंधे हुए। पर उन ने अमेरिका की तरफ से सफाई दी। तभी तो जब कश्मीर नीति पर आडवाणी ने सवाल उठाए। तो जैसे चोर की दाड़ी में तिनका, कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल खड़े हो गए। बोले- 'पीएम की नीयत पर शक करना ठीक नहीं। आडवाणी की बात सदन के रिकार्ड से हटाई जाए।'

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03/03/2010