Wednesday, February 2, 2011

परिवर्तन की आहट से राजा की निकली ‘बारात’

आखिर घोटालाधिराज ए. राजा का बाजा बज गया। सीबीआई ने चौथी बार पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में राजा की परछाईं रहे निजी सचिव आर.के. चंदोलिया और संचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरिया भी गिरफ्तार हो गए। तो कांग्रेस फ्रंट फुट पर खेलने लगी। बीजेपी ने राजनीतिक-जनदबाव का नतीजा बताया। जयललिता ने राजनीतिक हथकंडा। पर गिरफ्तारी के बाद भी विपक्ष ने एक सुर में जेपीसी की मांग दोहरा दी। यानी बजट सत्र में विपक्ष फिर हमलावर रुख अपनाने के मूड में। राजा की गिरफ्तारी से विपक्ष के आरोप सच साबित हुए। सो अब सवालों के घेरे में पीएम, जो तीन साल से राजा के राज को जानकर भी अनजान बने रहे। पर हुस्नी मुबारक की तरह जनता का भरोसा खो रही मनमोहन सरकार के लिए राजा की गिरफ्तारी ऑक्सीजन। सो कांग्रेस ने विपक्ष पर पलटवार किया। अपने अभिषेक मनु सिंघवी बोले- सीबीआई जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाने वालों को अब जवाब मिल गया। कानून अपना काम कर रहा, कांग्रेस कोई दखल नहीं दे रही। उन ने बीजेपी को फिर आईना दिखाया। बोले- अगर राजा की गिरफ्तारी राजनीतिक दबाव का नतीजा। तो यही दबाव बीजेपी कर्नाटक में क्यों नहीं दिखाती? सो बीजेपी ने कोर ग्रुप में मंथन किया। काले जादू से बचने के लिए येदुरप्पा आज-कल सूर्य नमस्कार कर रहे। पर बेचारी बीजेपी येदुरप्पा के काले जादू से परेशान। संसद में येदुरप्पा ही ऐसा मुद्दा, जो विपक्ष की एकता में दरार डाल दे। पर बीजेपी के लिए राहत की बात, राजा की गिरफ्तारी के बाद समूचे विपक्ष ने जेपीसी जांच की मांग को जायज ठहराया। सीताराम येचुरी, जयललिता, जेतली ने खम ठोककर कहा- जेपीसी की मांग और मजबूत हुई। जेपीसी जांच का दायरा बड़ा होता है। सिस्टम में क्या गड़बड़ी है, यह जेपीसी ही पता कर सकती। पर कांग्रेस और सरकार की रणनीति फिलहाल सुप्रीम कोर्ट को संतुष्ट करने की। अगले गुरुवार को सीबीआई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी। तो सरकार को उम्मीद, अब तक की कार्रवाई पर अदालत संतोष जताएगी। गर सचमुच ऐसा हुआ, तो कांग्रेस को बजट सत्र में मजबूत ढाल मिल जाएगी। सो राजा की गिरफ्तारी सीबीआई ने कोई मर्जी से नहीं की। अलबत्ता कांग्रेस और करुणानिधि की राजनीतिक डील का नतीजा। जब तक करुणा की कृपा नहीं थी, कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई। पर चुनावी मौसम में करुणा को भी मुश्किल, मनमोहन सरकार की छवि तो पूछो ही मत। सो भले कांग्रेस राजा की गिरफ्तारी करा इतराए। डीएमके से गठबंधन टूटने की आशंका खारिज करे। पर क्या कांग्रेस के पास इसके सिवा कोई चारा था? आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाती? आए दिन सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियां, राजनीतिक घेरेबंदी और जनमानस में उठ रहे सवालों ने सरकार को मजबूर कर दिया। पर अब गिरफ्तारी ने विपक्ष को और धारदार बना दिया। बीजेपी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमन बोलीं- संसद का शीत सत्र कांग्रेस के अहंकार और जिद से हंगामे में खत्म हुआ, यह बात आज साबित हो गई। सो अब पीएम को बताना होगा, जिस राजा को चार पूछताछ में ही जांच एजेंसी ने गिरफ्तारी के लाइक समझा। पीएम तीन साल तक चुप क्यों रहे? हम जेपीसी की मांग पर अभी भी अड़े हुए। यों विपक्ष रेल और आम बजट की संवैधानिक औपचारिकता में खलल नहीं डालेगा। पर बाकी सत्र की तस्वीर अभी साफ नहीं। भ्रष्टाचार के मामले में राजा का पीएम ने कई बार बचाव किया। नवंबर 2010 में सीएजी की रपट के बाद राजा का इस्तीफा हुआ। जबकि इस घोटाले की एफआईआर दो साल पहले दर्ज हो चुकी। और तो और, तमाम खुलासों के बावजूद मौजूदा संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने सात जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस कर यह साबित करने में रत्ती भर भी कसर नहीं छोड़ी कि राजा बेकसूर। सिब्बल ने घोटाले के आंकड़े को झुठलाते हुए निल बतलाया था। इससे पहले भी आठ दिसंबर को सिब्बल ने यह कहते हुए राजा का बचाव किया था- प्रमोद महाजन की बनाई नीति को राजा ने अपनाया। यानी सिब्बल ने राजा को निर्दोष बताया। पर अब सिब्बल महाराज क्या कहेंगे? जब सब-कुछ सही था, तो राजा गिरफ्तार क्यों हुए? कांग्रेस ने बजट सत्र से पहले राजा की गिरफ्तारी करा विपक्ष की धार कमजोर करने की कोशिश की। राजा को मधु कोड़ा बनाने की कोशिश की। पर सवाल- क्या एकला राजा ने प्रजा को इतना लूटा होगा? स्पेक्ट्रम यानी परछाईं के इस खेल में कितने बड़े खिलाड़ी, अभी खुलासा होना बाकी। सो राजा की गिरफ्तारी ही इति श्री नहीं। राजा तो सिर्फ मोहरा, असली राजदारों का पर्दा उठना बाकी। गिरफ्तारी तब तक सार्थक नहीं, जब तक भ्रष्टाचारियों को नजीर पेश करने वाली सजा न मिले। कहीं ऐसा न हो, हमेशा की तरह राजा की गिरफ्तारी भी राजनीतिक ड्रामा भर रह जाए। जमानत पर छूटकर राजा-प्रजा और सरकार मुकदमा-मुकदमा खेलते रह जाएं। पर फिलहाल सरकार और विपक्ष राजा की गिरफ्तारी से राजनीतिक समीकरण बनाने में जुटे। यों बिहार में डंका बजाने के बाद पहली बार दिल्ली पहुंचे नीतिश कुमार ने सोलह आने सही फरमाया। भ्रष्टाचार से बने माहौल में राजनीतिक परिवर्तन की आहट सुनाई दे रही। सो सचमुच नीतिश उवाच से राजा की गिरफ्तारी के निहितार्थ निकल रहे।
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02/02/2011