Thursday, January 27, 2011

थॉमस पर और कितनी थू-थू कराएगी सरकार?

अब तो टमाटर-प्याज-अंडे महंगे हो गए। तो आम आदमी भला गुस्से में क्या खाक बरसाएगा? सो सरकार अपना जूता अपने ही सिर मारने लगी। अपने गणतंत्र दिवस के अगले दिन ही सुप्रीम कोर्ट में सीवीसी पी.जे. थॉमस मामले में सुनवाई हुई। तो मानो, सरकार को सांप सूंघ गया। यों 17 जनवरी को जब हलफनामा दाखिल किया। तो थॉमस को ईमानदार छवि का काबिल उम्मीदवार बताया। फिर थॉमस ने भी कोर्ट के नोटिस का जवाब दिया। तो अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीतिक षडयंत्र का हिस्सा बताया। पर गुरुवार को चीफ जस्टिस एस.एच. कपाडिय़ा की बैंच ने सिर्फ इतना भर पूछा- क्या सरकार को थॉमस के खिलाफ चार्जशीट की जानकारी थी? क्या सीवीसी की नियुक्ति में सही प्रक्रिया का पालन किया गया था? पर अटार्नी जनरल जी.ई. वाहनवती ने जवाब दिया- कोलेजियम के सामने यह मुद्दा नहीं लाया गया, न ही पेश किए गए बायोडाटा में ऐसा कोई पहलू था। यानी कुल मिलाकर सरकार ने थॉमस के खिलाफ चार्जशीट होने की जानकारी से इनकार कर दिया। अब सवाल- थॉमस की नियुक्ति पर कितना थू-थू कराएगी सरकार? सितंबर में जब थॉमस सीवीसी बनाए गए। तो तीन मेंबरी कोलेजियम में सुषमा स्वराज ने अपना विरोध जताया। उन ने केरल के पॉम ऑयल घोटाले में थॉमस के खिलाफ चार्जशीट का जिक्र किया। पर बाकी दो मेंबर यानी पीएम-होम मिनिस्टर ने तय कर लिया था। सो विपक्ष की नेता की ना के बावजूद थॉमस सीवीसी बनाए गए। बीजेपी ने बाकायदा राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया। थॉमस की नियुक्ति पर दस्तखत न करने की गुहार लगाई। पर तब होम मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने थॉमस को क्लीन चिट दी थी। सो सात सितंबर को थॉमस की बतौर सीवीसी शपथ हो गई। फिर कांग्रेस ने तो किला फतह करने वाले अंदाज में बीजेपी पर कई दिनों तक लगातार हमले बोले। बीजेपी को संवैधानिक संस्था का मान गिराने वाली करार दिया। अब कांग्रेस बताए, सुप्रीम कोर्ट में वाहनवती ने सच बोला या झूठ? अगर सरकार के संज्ञान में थॉमस के खिलाफ चार्जशीट का मामला नहीं था। तो फिर सवाल सरकार की साख का। जब देश का पीएम और होम मिनिस्टर सीवीसी जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसी व्यक्ति को तैनात कर रहे हों और उस व्यक्ति के भूत-वर्तमान का पता न हो। तो ऐसी सरकार से क्या उम्मीद। क्या पता कल को ताजमहल, लालकिला और कुतुब मीनार का टेंडर निकल जाए। फिर सरकार कहे- हमें पता नहीं था। किसी भी सरकारी नियुक्ति से पहले वैरीफिकेशन और सिक्युरिटी क्लीयरेंस की प्रक्रिया निभाई जाती। पर थॉमस के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया? यों सीवीसी की नियुक्ति में चौतरफा घिरी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जानबूझकर झूठ बोला। थॉमस की शपथ से पहले चिदंबरम क्लीन चिट दे चुके। तो शपथ के बाद मनमोहन-चिदंबरम ने खम ठोकते हुए कहा था- हमने सही कदम उठाया। तीन नामों के पैनल में से सबसे उम्दा उम्मीदवार चुना। अब पीएम-एचएम जवाब दें- जब सही कदम उठाया, उम्दा उम्मीदवार चुना। तो अब सुप्रीम कोर्ट में हेकड़ी क्यों नहीं दिखा पा रहे? नियुक्ति के वक्त क्लीन चिट दी। मामला सुप्रीम कोर्ट गया। पहली सुनवाई में ही 22 नवंबर को कोर्ट ने पूछा- एक अभियुक्त सीवीसी कैसे हो सकता? बैंच ने माना, आपराधिक मुकदमा झेल रहा व्यक्ति अगर सीवीसी होगा। तो हर कदम पर सवाल उठेंगे। ऐसा व्यक्ति दूसरे की आपराधिक फाइल को आगे कैसे बढ़ाएगा? पर तब अटार्नी जनरल वाहनवती ने दलील दी थी- अगर नियुक्ति के मूल मानदंड के मुताबिक सवाल उठने लगे, तो संवैधानिक पद पर किसी की भी नियुक्ति नहीं हो पाएगी। पर थॉमस ने तो बाद में निर्लज्जता की सारी हदें पार करते हुए कहा- तेल घोटाले में मेरे खिलाफ भ्रष्टाचार नहीं, सिर्फ आपराधिक मुकदमा। उन ने सुप्रीम कोर्ट की कई तल्ख टिप्पणियों के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। अब फिसल गए, तो हर-हर गंगे कर रही सरकार। सो विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज भी थॉमस विवाद में सीधे कूद पड़ीं। सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल की राय को सफेद झूठ करार देते हुए एफीडेविट डालने का एलान कर दिया। बोलीं- नियुक्ति के वक्त मैंने पॉम ऑयल घोटाले में थॉमस के खिलाफ चार्जशीट का मामला कोलीजियम में उठाया था। लेकिन सच सामने लाने को अब मैं खुद कोर्ट में एफीडेविट दूंगी। सुषमा की बात में दम, क्योंकि बीजेपी ने थॉमस की शपथ से पहले ही यह मुद्दा उछाल राष्ट्रपति से अपील की थी। सो अब कांग्रेस को काटो, तो खून नहीं। गुरुवार को शकील अहमद बोले- यह मामला सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच। पर सुषमा कोर्ट जाना चाहें, तो जा सकतीं। अब थॉमस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। तो पता नहीं सरकार कौन सा नया राग सुनाएगी। थॉमस के खिलाफ चार्जशीट की जानकारी सरकार को शायद तब मिली, जब करुणाकरण का देहांत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने पॉम ऑयल घोटाले में ट्रायल को हरी झंडी दिखा दी। अब जिस सरकार को अपने मुलाजिम की जानकारी नहीं। वह भला मजबूर जनता की क्या फिक्र करेगी?
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27/01/2011