Thursday, May 6, 2010

26/11 से 06/05 ... पर मंजिल अभी दूर

पाक रे पाक, तेरा इरादा कितना नापाक। जुर्म करो इंडिया में, सजा मिले पाक में। क्या तभी होगा न्याय? अपनी स्पेशल कोर्ट ने कसाब को फांसी की सजा दी। तो फरीदकोट में रहने वाले कसाब के शुभचिंतकों ने जतला दिया, पाक हुक्मरान का अगला कदम क्या होगा। कसाबवादी पाकिस्तानियों ने भारत की न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए। दलील दी, अगर सबूत था, तो पाक की अदालत में पाक के कानून के तहत सजा मिले। पर सवाल, अब तक कितने आतंकवादियों को पाक की अदालत ने सजा दी? मौलाना अजहर मसूद, जकीउर रहमान लखवी जैसों के खिलाफ भारत ने न जाने कितने सबूत दिए। पर पाक हुक्मरान भारत के दिए हर डोजियर को डाइजेस्ट कर गए और डकार तक नहीं ली। कसाबवादी यह भी भूल गए, कैसे पाक ने कसाब को अपना मानने से इनकार कर दिया था। कसाब के साथ आए बाकी नौ आतंकियों की लाश पाक ने नहीं ली। तो इसी साल जनवरी में दफना दिया गया। पर अब न्यायिक प्रक्रिया के तहत पाक बेनकाब हुआ। तो चेहरा ढांपने को बहाने ढूंढ रहा। पाक प्रवक्ता ने कसाब को फांसी पर चुप्पी साध ली। पर भारतीय नेताओं की टिप्पणी को गैरवाजिब बता दिया। यानी पाक अब भी सबक लेने को तैयार नहीं। खुद के भस्मासुरों से पाक परेशान। दुनिया में कहीं भी आतंकी वारदात हो, उसका लिंक कहीं न कहीं पाक से ही जुड़ जाता। फिर भी पाक है, कि सुधरने का नाम नहीं। अब ताजा मुद्दा न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर में कार बम का। तो आरोपी पाकिस्तानी निकला। महज 48 घंटे में अमेरिकी पुलिस ने आतंकी फैजल शहजाद को गिरफ्तार कर लिया। फौरन एफबीआई का दस्ता फैजल के पाक स्थित घर पहुंच गया। अब अमेरिका को पाक में खुली छूट। तो पाक आखिर भारत की धौंस में क्यों आएगा। तभी तो 26/11 के बाद भी पाक ने आरोपियों पर ठोस कार्रवाई नहीं की। भारत ने कूटनीतिक दबाव बनाया। पर अमेरिका का दोगलापन बीच में आ गया। अब कसाब को फांसी हुई। तो अमेरिका ने फिर पाक को सख्ती का संदेश दिया। पर मुंबई हमले का मास्टर माइंड डेविड हैडली और राणा तो अमेरिकी गिरफ्त में। हैडली पर भारतीय कानून का जोर नहीं चल सकता। अमेरिका ने उस आतंकवादी से समझौता कर लिया। सो भले निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत कसाब को फांसी मिली। पर अपनी नजर में यह अधूरा न्याय। लखवी हो या हैडली-राणा अपनी पहुंच से बाहर। यों विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने कसाब की सजा को पाक के लिए सबक बताया। पाक में बैठे कसाब के आकाओं के जुर्म पर मोहर बताई। प्रत्यर्पण की कोशिश का एलान किया। पर क्या पाक से ऐसी उम्मीद है आपको? अब तो पाक ऐसे पैंतरे आजमाएगा, जिनसे भारत की जांच पर सवाल उठें। यों कसाब को सजा तथ्य और पुख्ता सबूतों के आधार पर हुई। पर वाकई अपनी जांच सवालों के घेरे में। हैडली-राणा जैसे मास्टर माइंड की भनक अपनी एजेंसी को तब मिली, जब अमेरिका ने बताया। पर अमेरिका ने अपनी एजेंसी को हैडली से पूछताछ तो दूर, चेहरा तक नहीं देखने दिया। सो पाक की गुर्राहट पर वही कहावत मौजूं- सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे का। पर पाक की पैंतरेबाजी आगे दिखेगी। फिलहाल कसाब को फांसी की सजा ने पीडि़तों के जख्म पर थोड़ा मरहम जरूर लगाया। विशेष जज ने भी माना, कसाब के सुधरने की गुंजाइश नहीं। सो चार मामलों में फांसी, छह मामलों में उम्रकैद की सजा दी। सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने तो मंगलवार को ही कह दिया था, कसाब को इनसान नहीं कहा जा सकता। वह एक किलिंग मशीन है, जिसका निर्माण पाक में हुआ। सो गुरुवार को फांसी की सजा का एलान हुआ। तो पीडि़त परिवारों ने फौरन फांसी पर लटकाने की अपील की। तो सजा के अमल पर कुछ सवाल भी उठे। सचमुच जब संसद पर हमले के मास्टर माइंड अफजल गुरु को अब तक फांसी पर नहीं लटकाया गया। तो कसाब को कब लटकाएगी सरकार। जब-जब अफजल का मामला उठा, वोट बैंक की राजनीति हावी हो गई। जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी सीएम थे, तो रमजान महीने के आखिरी जुमे की दलील देकर फांसी की तारीख टलवा दी थी। कई मानवाधिकारवादी झोला उठाए सडक़ों पर आ गए। अफजल राष्ट्रपति को दया याचिका देने के खिलाफ था। पर झोला छाप वालों ने अफजल की पत्नी के जरिए याचिका डलवा दी। तीन-चार साल हो चुके, दया याचिका पर दिल्ली की कांग्रेस सरकार कुंडली मारकर बैठी हुई। कांग्रेसियों से पूछो। तो यही कहेंगे- लिस्ट में अफजल का नंबर आएगा, तो फैसला होगा। अब जरा दया याचिका की मौजूदा लिस्ट देखो, तो कुल 29 का आंकड़ा, जिसमें अफजल का नंबर इक्कीसवां। पिछले साल 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कड़ी हिदायत दी- दया याचिकाओं का जल्द निपटान करे। यूपीए सरकार की ओर से 24 नवंबर 2009 को लोकसभा में जवाब आया। माफी याचिका को लेकर संविधान के अनुच्छेद 72 में कोई समय सीमा नहीं। अब कहीं दो-तीन साल बाद भी कसाब को किसी अदालत से राहत नहीं मिली। और कसाब से पहले किसी ने राष्ट्रपति को दया याचिका की अर्जी नहीं दी। तो कसाब का नंबर तीसवां होगा। अगर संविधान के अनुच्छेद 72 में कोई समय सीमा नहीं, तो फिर फांसी और उम्रकैद की सजा में फर्क क्या? सो गुरुवार को यही सवाल उठा, क्या कसाब को फांसी होगी? मुंबई में 26/11 को हमला हुआ। अपनी अदालत ने 06/05 को सजा सुनाई। पर .... आखिरी मुकाम कहां?
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06/05/2010