Friday, January 28, 2011

मनमोहन नहीं, केरल कैडर की सरकार!

 सौ, लाख नहीं, अब खरबों टके का सवाल- पी.जे. थॉमस पर सरकार क्या रुख अपनाएगी? शुक्रवार को दिन भर कांग्रेस खेमे में मत्थापच्ची होती रही। देर शाम हाई-पॉवर वाली कोर ग्रुप की थॉमसाई मीटिंग तय थी। पर आखिरी वक्त में मीटिंग रद्द हो गई। वजह सोनिया गांधी का बीमार होना बताया गया। अस्वस्थता की वजह से ही सोनिया गणतंत्र दिवस समारोह में भी शिरकत नहीं कर पाई थीं। अब शायद सोनिया तो दो-चार दिन में भली-चंगी हो जाएंगी। पर सवाल- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से बीमार मनमोहन सरकार स्वस्थ कैसे होगी? कोर ग्रुप की मीटिंग रद्द हुई। तो पीएम-प्रणव की अकेले में गुफ्तगू हुई। विधि मंत्री वीरप्पा मोइली तो गुरुवार रात ही पीएम से मिल आए। पर थॉमस मुद्दे का हल नहीं मिल रहा। सुषमा स्वराज ने मैदान में कूद सरकार की मुसीबत और बढ़ा दी। अब अगर सुषमा ने बतौर सिलेक्शन कमेटी मेंबर हलफनामा पेश कर दिया। तो सीधे पीएम और होम मिनिस्टर भी पक्षकार हो जाएंगे। सो शुक्रवार को कांग्रेस ने ऑफ द रिकार्ड नया झूठ बांचा। सुषमा ने पीएम-चिदंबरम के सामने थॉमस के खिलाफ चार्जशीट का मामला उठाया था। पर कांग्रेस की ताजा दलील- मीटिंग की मिनिट्स में चार्जशीट की कोई बात नहीं। सुषमा ने चार्जशीट की बात तब उठाई, जब कमेटी थॉमस का नाम एप्रूव कर चुकी थी। अब एक झूठ को छुपाने के लिए कांग्रेस कितना झूठ बोलेगी, आप अंदाजा लगा लें। सुषमा ने एप्रूवल लेटर पर दस्तखत करते हुए ऊपर लिख दिया- ‘आई डिसएग्री’। यानी सुषमा ने असहमति जताई। तो इसका आधार भी दस्तखत से पहले ही बताया होगा। यानी थॉमस के नाम पर मनमोहन-चिदंबरम की ओर से मोहर लगने के बाद सुषमा ने जो समझदारी दिखाई, कांग्रेस बचाव का रास्ता नहीं ढूंढ पा रही। अब आडवाणी ने भी खुलासा किया- जब मैं विपक्ष का नेता था, तभी ऐसे विवाद शुरू हो गए थे। तो मैंने सरकार से कहा था, जिस पैनल में विपक्ष के नेता को रखे जाने का नियम, उसमें किसी भी नियुक्ति के लिए एक से अधिक नाम होना चाहिए। पर सरकार ने सीवीसी के लिए तीन नाम जरूर रखे। फिर भी थॉमस के नाम पर ही अड़ी रही। जबकि सुषमा ने थॉमस को छोड़ बाकी दो नामों में से किसी को भी चुनने का सुझाव दिया था। ये सब बातें अब एक तथ्य, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता। पर सवाल- सरकार ने थॉमस नाम पर हठधर्मिता क्यों अपनाई? अब थॉमस गले की फांस बन गए। तो कनफ्यूज्ड सरकार कभी बचाव में उतर आती, तो कभी कदम पीछे खींच लेती। थॉमस को सीवीसी बनाने के लिए सरकार ने खूंटा गाड़ दिया। पर खूंटा उखाडऩे की हिम्मत नहीं। थॉमस ठहरे नौकरशाह। सो नैतिकता को जेब में डाल कुर्सी छोडऩे को राजी नहीं। अब जब सैंया भए कोतवाल, तो भला थॉमस राजनीतिक फायदे के लिए सरकार का मोहरा क्यों बनें? पर थॉमस विवाद ने एक नई थ्योरी शुरू कर दी। आईएएस लॉबी में आजकल दावे के साथ एक गॉसिप चल रहा- थॉमस को हटाना मनमोहन सरकार के बूते में नहीं। वजह- थॉमस केरल कैडर के आईएएस। अब जरा केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज नौकरशाहों और उनके राजनीतिक संरक्षकों पर गौर करिए। कैबिनेट सैक्रेट्री के.एम. चंद्रशेखर केरल कैडर से। पीएम के प्रिंसीपल सैक्रेट्री टी.के.ए. नायर केरल कैडर से। देश के होम सैक्रेट्री जी.के. पिल्लई केरल कैडर से। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन केरल से। सीवीसी पी.जे. थॉमस के बारे में तो दोहराने की जरूरत नहीं। देश के योजना आयोग में सैक्रेट्री सुधा पिल्लई केरल कैडर से, रिश्ते में होम सैक्रेट्री जी.के. पिल्लई की पत्नी। यानी देश की बागडोर भले राजनीतिक तौर से मनमोहन संभाल रहे। पर प्रशासन पूरी तरह से केरल कैडर के नौकरशाहों के हाथ। अब सवाल- राजनीतिक संरक्षण के बिना नौकरशाह इतने मजबूत कैसे? सरकार में इतने बड़े पदों पर नियुक्ति क्या बिना दस जनपथ की हरी झंडी के संभव? केरल में जब करुणाकरण ने ए.के. एंटनी के खिलाफ मोर्चा खोला था। तो सिर्फ सोनिया के कहने पर ही एंटनी ने सीएम की कुर्सी छोड़ी थी। अब एंटनी केंद्र में रक्षा मंत्री। पर सोनिया के सबसे विश्वस्त सिपहसालार। जिन बड़ी मीटिंगों में सोनिया शामिल नहीं हो सकतीं, उनकी ब्रीफिंग एंटनी ही सोनिया को करते। भले सरकार में कई जीओएम के मुखिया प्रणव दा हों। पर हर जीओएम में एंटनी जरूर मिल जाएंगे। सच्चाई यही, सोनिया कभी भी प्रणव-चिदंबरम जैसे नेताओं को फ्री हैंड नहीं छोड़तीं। सनद रहे, सो 2008 का एक वाकया भी याद दिलाते जाएं। जब एटमी डील पर लेफ्ट ने समर्थन वापसी का मन बना लिया था। प्रणव दा के घर सीताराम येचुरी फैसलाकुन मीटिंग करने पहुंचे। तो उस मीटिंग में एंटनी भी भेजे गए थे। सो मनमोहन लाख चाह लें, थॉमस को नहीं हटा सकते। बाबा रामदेव ने शुक्रवार को सही फरमाया- मनमोहन व्यक्तिगत तौर से ईमानदार। पर राजनीतिक तौर से नहीं। सचमुच थॉमस मामले पर हुई किरकिरी से अब यही लग रहा, देश में मनमोहन नहीं, केरल कैडर की सरकार चल रही।
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28/01/2011