Tuesday, April 20, 2010

तो क्या विजन सिर्फ थरूर के लिए, महंगाई पर नहीं?

अपने देश में नेताओं-नौकरशाहों का विजन शायद कहीं गुम हो गया। एक छोटा सा किस्सा बताएं। दिल्ली मैट्रो में आजकल एक इश्तिहार देखने को मिल रहा। भारत सरकार के अधीन एक जनसंख्या नियंत्रण का विभाग है। जिसने अखबारी कतरन के अंदाज में लिखा है- सोमवार, 20 मार्च 2030, भारत से हारने पर चीन में जश्न का माहौल। इश्तिहार का मतलब, 2030 में अपनी जनसंख्या आज के दर के हिसाब से चीन को पीछे छोड़ देगी। यों जागरुकता पैदा करने के लिए इश्तिहार वाकई बहुत अच्छा। पर डेटलाइन देख अपना दिमाग ठनका। ख्याल आया, वाकई कितनी लंबी सोचकर आइडिया निकाला। सो तसल्ली के लिए अपना मोबाईल निकाल डेट चेक किया। तो जितनी इश्तिहार के संदेश से खुशी हुई, उतना ही दुख डेट और दिन देख कर हुआ। सही मायने में 20 मार्च 2030 को दिन सोमवार नहीं, अलबत्ता बुधवार होगा। अब कहने वाले कहेंगे, दिन से क्या फर्क पड़ता, संदेश देखो। पर देश का भविष्य बनाने वाले अगर मन में जो आया, वही करने लगे। तो फिर देश का भविष्य कैसा होगा? यों बात बहुत छोटी है, पर सरकार के विजन की पोल खोल रही। जिसे पता करने में अपने जैसे को महज तीन-चार सेकेंड लगे। क्या कोई सरकारी मुलाजिम इतनी जहमत नहीं उठा सकता? अब जवाब मांगें भी, तो किससे। महंगाई का भूत 2004 से पीछा कर रहा। अब तो महंगाई सुरसा के मुंह से अधिक फैल चुकी। पर विजन का नमूना आप खुद देख लो। आरबीआई ने मंगलवार को एलान किया। मार्च 2011 तक महंगाई दर को कम कर 5.5 फीसदी वार्षिक दर पर लाएंगे। पर महंगाई काबू करने का फिर वही पुराना नुस्खा आजमाया। सीआरआर से लेकर ब्याज दर बढ़ा दिए। यानी महंगाई के आदी लोगों पर एक और बोझ। पर महंगाई के रुप अनेक। याद होगा, हाल ही में विपक्ष ने कैसे महंगाई के खिलाफ इमरजेंसी जैसी एकजुटता दिखाई। अब बुधवार को बीजेपी की महारैली। रामलीला मैदान से संसद मार्च होगा। इंदौर में नितिन गडकरी ने तो दस लाख भीड़ जुटाने का खम ठोका था। पर मौसम का मिजाज देख बीजेपी अब आंकड़ेबाजी से परहेज कर रही। मौसम की मार रैली पर न पड़े। सो दिल्ली में प्याज के मुद्दे पर सरकार गंवाने वाली बीजेपी ने मौसम से निपटने के लिए प्याज ककी बोरियों का पूरा बंदोबस्त किया। ताकि वर्करों को लू न लगे। वर्करों को प्याज के साथ नींबू और कुछ हर्बल टॉफियां भी बांटने की तैयारी। प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन छोड़े जाएं, इसकी गुहार खुद बीजेपी ने संबंधित विभाग से लगाई। अब बीजेपी के संसद घेरो संघर्ष का भले पल भर को सरकार पर असर पड़े। पर महंगाई का बाल बांका भी होता नहीं दिख रहा। वैसे जब विपक्षी एकजटुता में भी महंगाई अलग-अलग हों। तो सरकार क्यों परेशान हो। बुधवार को बीजेपी की रैली, तो अगले मंगलवार यानी 27 अप्रैल को लेफ्ट की रहनुमाई में 13 दलों ने भारत बंद का एलान कर रखा। सो संसद में सरकार को घेरने में सफल विपक्षी महाजोट ने फिर पहल की। लेफ्ट ने एनडीए को भारत बंद में शामिल होने का न्योता भेजा। एनडीए के संयोजक शरद यादव ने न्योता बीजेपी को अग्रेषित कर दिया। पर बीजेपी ने अभी जवाब नहीं दिया। पहले बीजेपी बुधवार की अपनी रैली देखेगी। गडकरी की रहनुमाई में बीजेपी के पहले विशाल प्रदर्शन की ताकत का इम्तिहान। पर संसद में एकजुट विपक्ष सडक़ पर साथ नहीं। बीजेपी की दलील, संसद में सरकार को घेरने के लिए मुद्दों पर आधारित सहमति के लिए विपक्षी महाजोट बना। सो संसद के बाहर ऐसी एकजुटता का फिलहाल कोई सवाल ही नहीं। यानी जनता के आंदोलन में महंगाई की आग पर सबकी अपनी-अपनी राजनीतिक रोटी। या यों कहें कि बीजेपी की महंगाई अलग और लेफ्ट की अलग। सो आप ही सोचिए, कैसे कम होगी महंगाई? वैसे भी महंगाई का असर आम आदमी पर हो रहा। सो आजकल बड़े लोगों की चर्चा संसद और मीडिया में खूब हो रही। शशि थरूर ने भले इस्तीफा दे दिया। पर मंगलवार को अचानक सफाई देने लोकसभा पहुंचे। अपना दर्द फिर उड़ेला। पीएम से गुहार लगाई, सभी आरोपों की जांच कराएं। अब तक के लंबे सार्वजनिक जीवन में बेदाग होने की दुहाई दी। एक कवि की पंक्ति सुनाकर बोलें, भारत का नाम आने पर गर्व का अहसास होता है। केरल का नाम आने पर रगों में खून दौडऩे लगता है। पर केरल की बात आई, तो सीताराम येचुरी ने बखूबी जवाब दिया। पूछा, केरल के बीपीएल के लिए खून क्यों नहीं दौड़ता। क्या सिर्फ आईपीएल के लिए खून दौड़ रहा। पर सोमवार के बजाए मंगलवार को थरूर की सफाई से अपना माथा ठनका। जो थरूर पीएम के आने से पहले तक इस्तीफे को राजी नहीं थे। अब इस्तीफे को नैतिकता बता रहे। सो लगा, देर-सबेर थरूर फिर मनमोहन केबिनेट की शोभा बढ़ाएंगे। जैसे तहलका कांड के बाद जार्ज फर्नांडिस गए और फिर रक्षा मंत्री पद पर ही लौट आए थे। यानी थरूर की खातिर सरकार ने अपने विजन का घोड़ा दौड़ा दिया। भले आम आदमी को महंगाई से निजात दिलाने में सरकार का विजन कुंद पड़ गया हो। कुछ यही हाल आईपीएल का भी। जैसे थरूर इस्तीफे को राजी नहीं थे। वैसे ही अब ललित मोदी तैयार नहीं। पर मंगलवार को संसद भवन में प्रणव-पवार-चिदंबरम बैठे। तो तय हो गया, मोदी को जाना होगा। बीसीसीआई चीफ शशांक मनोहर दिल्ली आकर पवार से मिले। पवार ने अरुण जेतली से बात की। पर मोदी का गेम ओवर शाायद आईपीएल फाइनल के बाद होगा।
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20/04/2010