Thursday, February 3, 2011

कस्टडी में ‘श्री’ राजा, पर करवटें बदल रही कांग्रेस

मिस्र में हालात बद से बदतर हो गए। मुबारक विरोधी और समर्थकों के बीच हिंसक दौर शुरू हो गया। तो अब हताश हुस्नी मुबारक ने मीडिया पर निशाना साध लिया। मीडिया को ब्लैक आउट किया गया। कई मीडिया वालों पर जासूसी का आरोप लगा, पिटाई तक हो गई। तो संयुक्त राष्ट्र के सैक्रेट्री जनरल बान की मून ने दुनिया से अपील की। मिस्र में अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की जाए। अब मुबारक के रहते मीडिया की कितनी रक्षा होगी, यह तो बाद की बात। पर अपने देश में घोटालाधिराज ए. राजा की रक्षा में डीएमके जरूर उतर आई। कांग्रेस भी राजा की गिरफ्तारी से जेपीसी की वैतरिणी पार मान रही। पर पहले बात डीएमके की, जिसने पार्टी के प्रचार सचिव पद से राजा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया। करुणानिधि ने सियासत का गुणा-भाग कर राजा को पार्टी से नहीं निकाला। अलबत्ता विपक्ष की हाय-तौबा पर बेशर्मी दिखा दी। डीएमके ने खम ठोककर कहा- गिरफ्तारी से यह साबित नहीं होता कि राजा दोषी। पर राजा ने किस तरह कट ऑफ डेट खिसका पसंदीदा कंपनियों को टैंडर दिए, एक कंपनी ने प्रावधान बदले जाने से एक दिन पहले ही ड्राफ्ट जमा कराए। बाकी राजा की चहेती नौ कंपनियां जेब में ड्राफ्ट लेकर पहुंची थीं। सो स्पेक्ट्रम की सही मायने में हकदार कंपनी ड्राफ्ट बनवाने में ही फंसी रही। रीयल एस्टेट वाले सस्ते दाम पर स्पेक्ट्रम लूट ले गए। बाद में कई गुना अधिक दाम पर विदेशी कंपनियों को बेच दिया। ये सारे ऐसे तथ्य, जिन्हें कोई अंधा भी आसानी से पढ़ ले। पर राजा डीएमके की मजबूरी, सो बचाव करना लाजिमी। गर राजा डीएमके से भी दर-ब-दर हुए, तो कलई खुलने का डर। साथ ही दलित वोट का समीकरण भी बिगड़ता। सो सही मायने में करुणानिधि राजा का नहीं, अलबत्ता खुद का बचाव कर रहे। यों करुणा की इस मजबूरी का राजनीतिक फायदा सीधे कांग्रेस को मिल रहा। डीएमके ने कांग्रेस की मांग के अनुरूप सीटें दे दीं। फिर भी कांग्रेस की मुश्किलें अभी कम नहीं। विपक्ष जेपीसी की मांग छोडऩे को राजी नहीं। पर अब कांग्रेस दलील दे रही- हमने जेपीसी को छोड़ पीएसी, मल्टी एजेंसी, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच, जस्टिस पाटिल कमेटी की जांच करा दी। विपक्ष की मांग के मुताबिक अब राजा की गिरफ्तारी भी हो गई। सो विपक्ष को और क्या चाहिए। अब पहले संसद में जेपीसी जांच के औचित्य पर बहस हो, फिर विचार होगा। पर अपनी ही दलील में कांग्रेस ने सवाल छोड़ दिया। जब सरकार इतनी तरह की जांच करा रही, तो सिर्फ जेपीसी से परहेज क्यों? क्या बाकी जांच में लीपापोती की गुंजाइश? जेपीसी में भी बहुमत सत्तापक्ष का होता। फिर परहेज का मतलब स्पष्ट। अब इस बात के आसार, अगर पीएसी खुद से जेपीसी जांच की सिफारिश कर दे। तो सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। सो विपक्ष को घेरने के लिए कांग्रेस का मिशन कर्नाटक जारी। गुरुवार को अभिषेक मनु सिंघवी ने पूछा- राजा मामले में पीएम पर सवाल उठाने वाले सुषमा-जेतली-आडवाणी-जसवंत कर्नाटक मुद्दे पर आंख मूंदे क्यों बैठे? हमने तो बिना दोष साबित हुए कार्रवाई की। पर कर्नाटक में गवर्नर की ओर से मुकदमे की सिफारिश के बावजूद येदुरप्पा को क्यों नहीं हटाया? अगर नैतिकता की शुरुआत करनी है, तो कर्नाटक-उत्तराखंड से हो। सो कांग्रेस ने दबी जुबान में ही कह दिया- क्रिकेट-फुटबाल के ग्राउंड तो होते हैं, पर सियासत में कोई मॉरल ग्राउंड नहीं। सो गुरुवार को सीवीसी मसले पर भी सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कह दिया- सीवीसी थॉमस पर चार्जशीट कोई धब्बा नहीं। ‘यानी दाग अच्छे हैं।’ पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर लताड़ा। पूछा- क्या सिलेक्शन कमेटी के सामने थॉमस का सर्विस रिकार्ड रखा गया था? तो सरकार की ओर से जवाब दिया गया- तबके सीवीसी प्रत्यूष सिन्हा ने थॉमस की नियुक्ति को हरी झंडी दी थी। पर कोर्ट ने दो-टूक कहा- नियुक्ति में सीवीसी आखिरी फैसले नहीं लेता। अब सरकार किस स्तर तक गिरेगी, पता नहीं। पर गुरुवार को ए. राजा जब पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किए गए। सीबीआई को पांच दिन की रिमांड मिल गई। पर उनके वकील ने इशारा कर दिया- टू-जी आवंटन पर सारे फैसले केबिनेट की सहमति से हुए। सो सिर्फ राजा पर कार्रवाई क्यों? यानी इस खेल में हाथ बहुतों का। सो कहीं ऐसा न हो, मामला ठंडा करने को अभी सीबीआई फुर्ती दिखा रही। पर जैसे ही राजनीतिक माहौल ठंडा हुआ, आकाओं का केस दबाने में माहिर सीबीआई अपना पैंतरा शुरू न कर दे। सिख विरोधी दंगे, पेट्रोल पंप आवंटन, बोफोर्स, चारा घोटाला, आय से अधिक संपत्ति के माया-मुलायम-लालू मुकदमे इस बात के साक्षी। सीबीआई की ओर से सत्ताधीशों को बचाने का प्रयास इतनी दफा हुआ, कोर्ट ने निगरानी तक का काम अपने हाथ में ले लिया। सो जुडिशियल एक्टीविज्म का मुद्दा हमेशा उठता रहा। अब भी घोटालों पर कार्रवाई हो रही, तो इसी एक्टीविज्म की वजह से। सो एक तरफ राजनीतिक हमलों से कांग्रेस बैक फुट पर। तो दूसरी तरफ कोर्ट की लगातार मिल रही फटकार। अब कोर्ट को जवाब देने से पहले सीबीआई ने राजा को कस्टडी में तो ले लिया। पर राजनीतिक-अदालती मोर्चे पर घिरी कांग्रेस करवटें बदल रही।
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03/02/2011