Friday, February 18, 2011

तो क्या क्रिकेट के शोर में दबाएंगे भ्रष्टाचार?

संसद में घोटाला कप की गूंज होगी। तो बाहर क्रिकेट वल्र्ड कप की। सो कांग्रेसी अब बड़ी आस लगाए बैठे, भ्रष्टाचार का घेरा कुछ कमजोर होगा। शुक्रवार को कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद से लेकर राजीव शुक्ल तक यही दुआएं करते दिखे। शकील बोले- मीडिया अब क्रिकेट की अधिक खबरें दिखाएगा। सो लोगों का ध्यान भ्रष्टाचार के मुद्दे से हट जाएगा। राजीव शुक्ल भी करीब-करीब यही बोले। संसद का बजट सत्र और वल्र्ड कप साथ-साथ, देखते हैं लोग किसको देखेंगे। पर दोनों के चेहरों पर अजीब सी मुर्दनी हंसी दिखी। अब वल्र्ड कप के उत्साह से कोई भ्रष्टाचार को ढांपना चाहे, तो ऐसे नेताओं को क्या कहेंगे। यों कई बार अति उत्साह के चक्कर में गड़बड़झाले हो जाते। कांग्रेस तो इस दौर से गुजर अब जेपीसी को झुक गई। मंगलवार को लोकसभा में शायद खुद पीएम जेपीसी का प्रस्ताव रखेंगे। बहस की औपचारिकता निभा एलान हो जाएगा। सो शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कह दिया- बुधवार से पहले जेपीसी पर फैसला हो जाएगा। यानी मंगलवार को संसद में मंगल की उम्मीद करिए। पर बात अति उत्साह के मारों की। तो भला लालकृष्ण आडवाणी को कैसे भूल सकते। आडवाणी पीएम नहीं बन सके, पीएम इन वेटिंग ही रह गए। पर कामकाज का ढर्रा पीएम जैसा ही अपना रखा। याद होगा, चुनावी समर के बीच कैसे आडवाणी हर क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मीटिंग कर एजंडा पेश करते थे। अभी भी वही ढर्रा जारी। सो ब्लैक मनी के मामले पर विशेषज्ञों की टास्क फोर्स बना दी। टास्क फोर्स ने पता नहीं कहां से टास्क लिया। सोनिया-राजीव के भी स्विस बैंक में अकाउंट बता दिए। आडवाणी ने डेढ़ घंटे की प्रेस कांफ्रेंस में टास्क फोर्स की पूरी रपट को खूब बांचा। पर सोनिया गांधी ने चिट्ठी लिख एतराज जताया। तो आडवाणी ने फौरन चिट्ठी लिख सोनिया से माफी मांग ली। दलील दी- अगर आपने पहले खंडन कर दिया होता, तो टास्क फोर्स इस खंडन को ध्यान में रखती। अब इसका क्या मतलब? मान लो, हम-आप खंडन न करें, तो आडवाणी की टास्क फोर्स हमारा-आपका भी नाम ले देगी? सवाल- टास्क फोर्स ने किस आधार पर सोनिया-राजीव का नाम लिया? महज सोनिया के खंडन से ही आडवाणी ने कैसे मान लिया? यों ऐसी गलतियां आडवाणी कई दफा कर चुके। जब आडवाणी ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी आत्मकथा- माई कंट्री, माई लाइफ लिखी। तो ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार और एक-दो मुद्दे ऐसे, जिन पर बाद में माफी मांगनी पड़ी। पर कांग्रेस को आडवाणी की माफी राजनीतिक चाल नजर आ रही। जब आडवाणी ने अपनी किताब लिखी थी, तब होली के दिन पत्नी कमला के साथ सोनिया के घर गए थे। किताब के बहाने मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश की थी। पर कांग्रेस ने किताब को आधार बना आडवाणी को कई दफा घेरा। अबके होली करीब, तो आडवाणी ने सिर्फ सोनिया के खंडन से ही माफी मांग ली। सो सवाल- जब सोनिया का खंडन मान रहे, तो आडवाणी कभी मनमोहन सिंह की बात को सच क्यों नहीं मानते? सो एक कांग्रेसी ने चुटकी ली- सीबीआई के पचड़े से बचने की कोशिश हो रही। सीबीआई ने बाबरी ढांचा केस में आडवाणी समेत आठ लोगों पर मुकदमा वापस लेने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सो मामला फिर खुला, तो कांग्रेस के खिलाफ तनी बीजेपी की तोपें फुस्स हो जाएंगी। पर दबी जुबान में ही सही, कांग्रेस ने सीबीआई के बेजा इस्तेमाल की बात मान ली। सो बजट सत्र में सरकार और विपक्ष की बांसुरी खूब बजेगी। बैंड तो बेचारे आम आदमी का बज रहा। सरकार की चालाकी कहें या बेशर्मी, शुक्रवार को महंगाई दर पीएम के अनुमान से भी नीचे आ गई। हुआ यों कि सरकार ने अब महंगाई दर मापने का नया सूचकांक जारी कर दिया। सो नए सूचकांक के मुताबिक अब महंगाई दर महज छह फीसदी। तो महंगाई नीचे लाने का मनमोहिनी-प्रणवी फार्मूला आप खुद देख लो। यों विशेषज्ञों ने तो पहले ही बता दिया- नई पैदावार का मौसम आ गया, सो महंगाई तो खुद-ब-खुद नीचे आएगी। सरकार भी बजट में कुछ लोक-लुभावन एलान करने की सोच रही। पिछले बजट में प्रणव दा ने पेट्रोल के दाम बढ़ा इतिहास रचा। तो अबके घटाकर रचेंगे। सचमुच संसद का बजट सत्र सरकार के लिए इम्तिहान जैसा। महंगाई-भ्रष्टाचार-ब्लैकमनी और माननीय सीवीसी पी.जे. थॉमस का मामला फोकस में रहेगा। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण में पूरे साल का एजंडा झलकेगा। तो भ्रष्टाचार से लडऩे के सोनिया मंत्र का जाप होगा। पर ए. राजा ने तो थम ठोककर कह दिया- मैं जल्द बेदाग होकर लौटूंगा। सचमुच नेताओं के मामले में जनता को अभी भी ठोस कार्रवाई का भरोसा नहीं। पर बजट सत्र अबके सचमुच इतिहास रचने जा रहा। जेपीसी जांच का एलान होगा। जस्टिस सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। सभापति हामिद अंसारी ने महाभियोग को मंजूरी दे दी। पर बजट सत्र में जहां सरकार को खुद को साबित करने की चुनौती। तो विपक्ष पर भी कर्नाटक-गुजरात जैसे मामलों में दिखाने का दबाव। पर नीयत किसी की साफ नहीं। तभी तो कांग्रेसी क्रिकेट के शोर में भ्रष्टाचार दबाने की कोशिश कर रहे।
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18/02/2011