Wednesday, May 12, 2010

तो कांग्रेस खेल रही दूरी बनाने-मिटाने का खेल

यों कहने को प्यार, जंग और राजनीति में सब जायज। पर जब प्यार पर पहरा लगा, तो राजनेता या तो पहरेदारों के साथ हो लिए। या फिर चुप्पी साधकर बैठ गए। सो बदलते वक्त के साथ पहरेदार अब समाज के ठेकेदार हो चुके। पर करनाल की सैशन कोर्ट ने जब तीस मार्च को मनोज-बबली हत्याकांड में कुछ ठेकेदारों को लपेटा। तो इन कथित ठेकेदारों के पेट में गुडग़ुड़ी होने लगी। मनोज-बबली का प्यार परवान चढ़ा, तो गोत्र की फिक्र नहीं की। आखिर करते भी क्यों, प्यार धर्म-जाति-गोत्र पूछकर नहीं होता। कब किस पर किसका दिल आ जाए, किसका प्यार परिणति तक पहुंचे, कोई भी नहीं जानता। शायद यही वजह है कि प्यार और कानून को अंधा कहा गया। प्यार सिर्फ इनसान को देखता है, कानून सिर्फ सबूत। पर खाप पंचायत के तुगलकी फरमान ने मनोज-बबली को जिंदगी से जुदा कर दिया। तो अदालत ने भी अपना काम बखूबी निभाया। कथित ठेकेदारों में से पांच को फांसी, एक को उम्रकैद, एक को सात साल की सजा दी। सो तबसे खाप पंचायत के लोग मुहिम पर उतारू। शुरुआत में लोगों ने तवज्जो न दी। पर हरियाणा में स्थानीय चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई। तो खाप ने महापंचायत बुलाकर नवीन जिंदल समेत राज्य के सभी सांसदों से 25 मई तक रुख साफ करने को कहा। खाप के इस फरमान का असर ही कहेंगे। बीते इतवार कैथल की महापंचायत में कांग्रेस के युवा सांसद नवीन जिंदल को पहुंचना पड़ा। पर जिंदल के सिर खाप का खौफ इतना हावी, उन ने खत लिखकर समर्थन दिया। संसद में आवाज बुलंद करने का एलान कर दिया। यों जिंदल पढ़े-लिखे, प्रगतिशील विचारों के इनसान। आज भी वह दृश्य याद है, जब जिंदल 2004 के चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब सवाल-जवाब हुए, तो कांग्रेस के औपचारिक मंच से जिंदल ने तबके पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जमकर तारीफ की थी। शायद तब राजनीति की पाठशाला में शामिल हुए थे। सो लाग-लपेट नहीं था। पर अब तो सांसदी का दूसरा टर्म। सो राजनीति के पेच समझने लगे। सांसदी की कुर्सी का मोह छोडऩे का मन शायद किसी बिरले का ही होता होगा। पर जिंदल कोई बिरले नहीं। सो उन ने वोट बैंक खिसकने के डर से खाप को खुला समर्थन दिया। हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन की खाप की मांग को जायज ठहराया। पर बवाल मचा, खुद विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने ऐसी मांग को खारिज कर दिया। तो जिंदल सफाई देने लगे, ऑनर किलिंग की हिमायत नहीं की। पर खाप की मांग क्या है। खाप यही तो चाह रहा, एक गोत्र में शादी कानूनन बैन हो और कोई ऐसी जुर्रत करे, तो खाप के फरमान को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सके। यानी खाप खुद ही पुलिस, वकील और जज की भूमिका चाह रहा। आखिर यह मांग करनाल कोर्ट के फैसले के बाद ही तो उठी। तो क्या खाप अब भी मनोज-बबली की हत्या को अपना जुर्म नहीं मानेगा? समाज की परंपरा के नाम पर मौत का फरमान देने वाला खाप कौन होता? क्या समाज के इन ठेकेदारों ने कभी भूख और गरीबी से जूझने वाले किसी परिवार की सुध ली है? जब कोई खाप किसी के घर का चूल्हा नहीं जलवा सकता। तो उसे समाज की ठेकेदारी का हक किसने दिया? समाज जोडऩे के लिए होता, उजाडऩे के लिए नहीं। अगर खाप की बात मान भी ली जाए। तो क्या प्यार करने वालों को पहले खाप की परमिट लेनी होगी? क्या कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल को समझ नहीं, क्या चाह रहा है खाप? अब भले क्षेत्रीय राजनीति के हिसाब से जिंदल ने खाप को समर्थन दिया। पर मुश्किल में फंस गई कांग्रेस। कांग्रेस हमेशा से विवादित मुद्दों पर मध्य मार्ग ही चुनती। सो खाप के मसले पर कांग्रेस का यही स्टैंड रहा, कानून अपना काम करेगा। पर खाप के समर्थन में बोल जिंदल ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। तो बुधवार को हरियाणा कांग्रेस के इंचार्ज पृथ्वीराज चव्हाण ने नोटिस भेज दिया। खाप पर बयानबाजी से दूर रहने की हिदायत दी। लगे हाथ सफाई मांगी, क्यों पार्टी स्टैंड के खिलाफ खाप पंचायत में हिस्सा लिया। पर कांग्रेस ने सिर्फ जिंदल के बयान से दूरी बनाई। न खाप के समर्थन में कुछ कहा, न खिलाफ। पर कोई पूछे, जिंदल को नोटिस तो दिया। पर भूपेद्र सिंह हुड्डा के करीबी राज्यसभा सांसद शादीलाल बत्रा को क्यों नहीं। बत्रा ने भी खाप की मांग का समर्थन किया। यों खाप के तुगलकी फरमान किसी से छुपे नहीं। फिर भी वोट बैंक के डर से कोई सवाल नहीं उठाता। मंगलवार को रिटायर हुए चीफ जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने भी खूब फरमाया। कहा- जब हम प्यार में होते हैं, तो किसी कानून को नहीं मानते। सो कानून में संशोधन हो या नहीं.. यह सामाजिक मुद्दे हैं और लोग दर लोग विचार बदलते रहते हैं। पर समाज की इन ठेकेदारी प्रथा पर रोक नहीं लगी, तो ऐसी मांग देश की व्यवस्था के लिए नासूर बन जाएगी। जिंदल के बाद ओमप्रकाश चौटाला ने भी खम ठोका। तो वोट की खातिर सफेद झूठ बोल गए। चिदंबरम से मिले किसी और मुद्दे पर। मीडिया में आकर कह दिया, हमने हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन के लिए ज्ञापन दिया। सो मंगलवार को ही गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी कर दिया। चौटाला ने चिदंबरम से मुलाकात में ऐसी कोई बात नहीं कही। सो सियासतदानों का रंग आप खुद देख लो। पर बात कांग्रेस की, इधर बुधवार को नवीन जिंदल से दूरी बनाई। तो उधर जयराम दूरी मिटाने के लिए पी. चिदंबरम से मिले। चीन में की गई अपनी टिप्पणी पर मीडिया के सामने चुप्पी अभी भी नहीं टूटी।
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12/05/2010