Friday, October 29, 2010

अब तो सारे घोटाले 'आदर्श' ही होते!

आखिर शुक्रवार बीजेपी के लिए दो-दो शगुन लेकर आया। गुजरात में मोदी के दिल-अजीज अमित शाह को जमानत मिल गई। तो कर्नाटक में स्पीकर के फैसले पर हाईकोर्ट ने मोहर लगा दी। सो गुरुवार तक कलह में उलझी बीजेपी ने शुक्रवार को ही दिवाली मना ली। पता नहीं दिवाली आते-आते शगुन कब अपशकुन में बदल जाए। सो बीजेपी हैडक्वार्टर में जमकर आतिशबाजी हुई। पर दोनों शगुन में फर्क देखिए। जश्न में कर्नाटक में येदुरप्पा सरकार को मिली मजबूती का असर नहीं, अलबत्ता अमित शाह को मिली जमानत की खुशी छलक रही थी। बीजेपी के वर्कर सिर्फ मोदी नाम का जयकारा लगा रहे थे। सीबीआई के तमाम विरोधों के बावजूद हाईकोर्ट में राम जेठमलानी की दलील काम कर गई। सो जेठमलानी को लेकर बीजेपी में हो रहे विरोध का जवाब मिल गया। अब सीबीआई जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की सोच रही। तो उधर कर्नाटक में जेडी-एस ने सुप्रीम कोर्ट जाने का एलान कर दिया। पर दोनों ही फैसले कांग्रेस की पेशानी पर बल डाल गए। सो कर्नाटक पर पुराना राग ही अलापा। बोली- अल्पमत की सरकार को बहुमत में बदला गया। पर सवाल, अब कांग्रेस क्या करेगी? येदुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने के लिए गवर्नर हंसराज भारद्वाज जेहाद पर उतर चुके थे। पर क्या अब कांग्रेस हंसराज को वापस बुलवाएगी? रही बात खरीद-फरोख्त की, तो इस हमाम में कौन नंगा नहीं? छत्तीसगढ़, झारखंड, गोवा में कांग्रेस ने क्या किया था? अजीत जोगी कैसे बीजेपी के एमएलए खरीदते धरे गए, क्या कांग्रेस भूल गई। झारखंड में अल्पमत वाले शिबू सोरेन को कैसे शपथ दिलाई गई। सुप्रीम कोर्ट ने हथौड़ा चलाया, तो कांग्रेस कैसे भन्नाकर रह गई, कौन नहीं जानता? गोवा में तो खरीद-फरोख्त की फैक्ट्री। सो गवर्नर एससी जमीर के जरिए गोवा में कांग्रेस कितने खेल कर चुकी, क्या भूल गई। यानी बीजेपी हो या कांग्रेस या अन्य कोई दल, नैतिकता किसी में नहीं बची। अब गुजरात में अमित शाह को जमानत मिल गई। तो कांग्रेस ने सीधी टिप्पणी से परहेज किया। पर सीबीआई का बचाव करना नहीं भूली। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी बोले- बीजेपी दोहरे मापदंड अपना रही। हरेन पंड्या केस में सीबीआई अच्छी, तो अमित शाह केस में बुरी कैसे हो गई। पर सीबीआई की हकीकत कौन नहीं जानता। शुक्रवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को एक बार फिर लताड़ पिलाई। टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सीबीआई ने छह महीने का और वक्त मांगा। तो कोर्ट ने उसके इरादे पर संदेह जताया। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की- आखिर सीबीआई कब तक जांच करेगी? अभी तक मंत्री अपने पद पर बना हुआ। सीबीआई का इरादा कुछ नहीं करने का दिख रहा। सचमुच सीबीआई सत्ताधारी दल की कठपुतली बनकर रह गई। सो कोर्ट की फटकार के बाद भी सीबीआई वही करती, जो राजनीतिक आका चाहते। तभी तो भ्रष्टाचार के मामले में कभी बड़े नेताओं पर कार्रवाई नहीं होती। गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में ऐसी ही टिप्पणी की। कहा- सिर्फ छोटी मछलियां ही क्यों, शार्क और मगरमच्छ क्यों नहीं फंसते? अब मुंबई के आदर्श सोसायटी फ्लैट घोटाले की कलई खुली। तो महाराष्ट्र के कांग्रेसी सीएम अशोक चव्हाण सीबीआई जांच की पैरवी कर रहे। पर जरा पहले फ्लैट की कहानी बता दें। कारगिल शहीदों की विधवाओं को मकान देने के लिए छह मंजिला इमारत का फैसला हुआ। जिस एरिया में जमीन मिली, वहीं पास में नेवी के कई अहम ठिकाने। पर नेताओं-अफसरान और सेना के शीर्ष पद से रिटायर लोगों ने जमकर बंदरबाट की। कब छह मंजिला इमारत इकत्तीस मंजिला बन गई, किसी को पता नहीं चला। आखिर पता चलता भी कैसे, जब नेता-अफसर ने अपने सगे-संबंधियों के नाम एक नहीं, चार-छह फ्लैट करवा लिए। खुद सीएम अशोक चव्हाण की सास और दिल्ली में रहने वाले चचिया ससुर के नाम फ्लैट। सो जब बवाल मचा, तो सीएम के रिश्तेदारों ने सोसायटी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सीएम ने राजनीतिक साजिश करार दिया। पर कोई पूछे, तीन टर्म से कांग्रेस की ही सरकार, तो क्या बीजेपी साजिश कर रही? अब सवाल, नेताओं-नौकरशाहों से, क्या उन्हें कभी शर्म आएगी? शहीद की विधवाओं के नाम पर बनने वाले फ्लैट में भी कब्जा जमा लिया। तो फिर भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगेगा? आदर्श सोसायटी घोटाले की परतें तो अभी और उधड़ेंगी। पर भ्रष्टाचार के महिमामंडन में कांग्रेस जैसी निर्लज्जता शायद ही कहीं दिखे। कांग्रेस जो भी करती, डंके की चोट पर। बीजेपी वाले तो थोड़ा भी नहीं खाते कि उल्टी हो जाती। पर आप कांग्रेस का इतिहास देख लो। तो सिर्फ आदर्श फ्लैट घोटाला ही नहीं, सारे घोटाले 'आदर्श' ही दिखेंगे। बोफोर्स घोटाले में दलाली से अधिक जांच पर खर्च हो गए। पर क्या कांग्रेस ने राजीव गांधी तक आंच आने दी? राव सरकार के वक्त झामुमो रिश्वत कांड हुआ। पर वह कांग्रेस के लिए आदर्श। झारखंड में ही निर्दलीय एमएलए कोड़ा को सीएम बनवा दिया। फिर जो लूट मची, वह भी एक आदर्श। सोनिया गांधी की रैली के लिए चंदा उगाही करते माणिक राव ठाकरे धरे गए। बिहार में कांग्रेस सचिव सागर रायका छह लाख रुपए के साथ पकड़े गए। तो यह भी कांग्रेस का अपना आदर्श। अब कॉमनवेल्थ घोटाले को ही लीजिए। किसी बड़े नेता पर कार्रवाई नहीं होने वाली। अलबत्ता सरकारी अफसर ही नपेंगे।
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29/10/2010