Monday, December 27, 2010

बीजेपी की मुरली, कांग्रेस के मनोहर और जोशी का जोश

 सचमुच समय बड़ा बलवान। कैसे ए. राजा एनडीए राज से यूपीए की दूसरी पारी तक मंत्री रहे। पर वक्त ने ऐसा मुंह मोड़ा, राजा से रंक हो गए। तो दूसरी तरफ बीजेपी में अलग-थलग पड़े मुरली मनोहर जोशी सुर्खियों के सरताज बने। कभी बीजेपी में अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर की तिकड़ी हुआ करती थी। पर जोशी के साथ वक्त ने ऐसा दगा किया, अटल-आडवाणी आगे निकल गए। जोशी किनारे पर किताब पढ़ते रह गए। यानी बीजेपी में इतिहास बनने के कगार पर पहुंचे जोशी को इतिहास रचने का मौका मिल गया। सो अब वही मुरली मनोहर कांग्रेस के लिए तो सचमुच के मनोहर हो गए। बीजेपी ने जोशी को पीएसी का अध्यक्ष बनवाया। अब टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच पीएसी कर रही। पर जोशी को पार्टी की ओर से डिक्टेशन मंजूर नहीं। सो अपने तौर-तरीके से जांच का काम आगे बढ़ा रहे। पर जेपीसी की मांग को लेकर संसद का सत्र ठप कर चुकी बीजेपी में खलबली मची हुई। सो सोमवार को पीएसी की मीटिंग के बाद जोशी ने सफाई दी- सबको मालूम था, अगला पीएसी अध्यक्ष ही स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच करेगा। जनवरी 2010 से ही जांच की प्रक्रिया शुरू। सो मैं तो सिर्फ जिम्मेदारी निभा रहा। यानी जोशी की सफाई बीजेपी का दर्द बयां कर रही। सो बीजेपी में आजकल भस्मासुर की कहानी खूब सुनी-सुनाई जा रही। भस्मासुर ने कठोर तपस्या कर भगवान शंकर से वरदान हासिल कर लिया। भोले बाबा ने भलमनसाहत में वरदान दे दिया- जिसके सिर पर हाथ रखोगे, वह भस्म हो जाएगा। बस क्या था, भस्मासुर ने इस वरदान का परीक्षण किसी और पर करने के बजाए भगवान शंकर पर ही करने की ठान ली। सो वक्त ने करवट ली, तो भोले बाबा भागे-भागे विष्णु भगवान के दर पहुंच गए। उसके बाद मोहिनी रूप धर भगवान विष्णु ने क्या किया, सबको मालूम। अब जोशी को भले बीजेपी जो माने, पर अपनी ओर से भस्मासुर कहना उचित नहीं। यों इतना सच जरूर, कांग्रेस मोहिनी रूप धर जोशी को मोह रही। सो सोमवार को पीएसी के कटघरे में सीएजी विनोद राय की पेशी हुई। तो दूसरी तरफ मनमोहन ने जो कांग्रेस अधिवेशन में एलान किया था, वह चिट्ठी में लिख जोशी को भेज दिया। यानी पीएसी चाहे, तो वह पेश होने को तैयार। पर जोशी ने साफ कर दिया- उचित समय पर ही फैसला होगा। यों तकनीकी तौर पर पीएसी को यह अधिकार नहीं। अगर पीएम को बुलाना भी पड़ा, तो स्पीकर की मंजूरी लेनी होगी। पर जोशी ने मीटिंग के बाद अपना इरादा जता दिया, जब कहा- पीएम ने पीएसी की ओर से मांगी गई रपट के मुताबिक पर्याप्त दस्तावेज मुहैया करा दिए हैं। अब हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े-लिखे को फारसी क्या। कांग्रेस ने तो विपक्ष की जेपीसी की मांग खारिज करते हुए फिर कह दिया- अगर मुरली मनोहर जोशी की क्षमता और दक्षता पर बीजेपी को भरोसा नहीं, तो यह उसकी परेशानी। यानी एनडीए राज में कांग्रेस ने जिन्हें पोंगा पंडित कहा, अब वही ढाल बन गए। कांग्रेस ने तो बोफोर्स ने सबक ले ठान लिया- भले सरकार चली जाए, जेपीसी नहीं बनाएंगे। कांग्रेस की दलील- बोफोर्स के वक्त जेपीसी बना बड़ी गलती की। जिसका विपक्ष ने दो दशक तक फायदा उठाया। पर आखिर में राजीव गांधी कोर्ट से पाक-साफ हुए। यानी कांग्रेस की दो-टूक- जेपीसी पर अतीत का अनुभव ठीक नहीं। सो अब वही भूल नहीं दोहराएंगे। अब मुश्किल बीजेपी की। सो फिर जेपीसी की मांग की। शाहनवाज हुसैन बोले- पीएम कहीं भी जाएं, हमें लेना-देना नहीं। पर जेपीसी के बिना कोई निष्कर्ष नहीं निकल सकता। सुषमा स्वराज ने ट्विटर पर लिखा- जब पीएसी और जेपीसी में फर्क नहीं, तो रूल बुक में अलग-अलग प्रावधान क्यों? पर बीजेपी के एक तीजे नेता की दलील- अगर पीएसी नहीं बुला सकती, तो बिना टर्म एंड रेफरेंस के जेपीसी भी नहीं बुला सकती। अपने जोशी ने तो साफ कह दिया- भले पीएसी का काम सिर्फ अकाउंट की जांच करना, पर किस पॉलिसी की वजह से गड़बड़ हुई, इसकी भी जांच कर सकती। जोशी ने सिर्फ सीएजी की 2003 से दी गई रपट पर ही नहीं, एनडीए काल तक की फाइल खंगालने का इरादा जता दिया। वैसे भी बीजेपी स्पेक्ट्रम घोटाले के जाल में फंसती जा रही। नीरा राडिया के करीबियों में अब अनंत कुमार का भी नाम आ गया। सरकार ने एलान कर दिया- अनंत ने मंत्री रहते नीरा को गोपनीय जानकारी लीक की, इसकी जांच होगी। तब एक कन्नड़ अखबार ने क्लिंटन-मोनिका के संबंधों का हवाला देते हुए राडिया को अनंत की मोनिका बताया था। जिसके खिलाफ अनंत कुमार की पत्नी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। सो अब बीजेपी ने तोप में सिर्फ पीएम के नाम के गोले भरने शुरू कर दिए। कांग्रेस और सरकार की आक्रामक रणनीति के जवाब में अब बीजेपी यह भी मंथन कर रही। अगर बजट सत्र तक जेपीसी नहीं बनी, तो सत्र के दौरान पीएम के बॉयकाट का भी दांव खेला जा सकता। यानी सदन में जैसे ही पीएम आएं, कम से कम बीजेपी उठकर चली जाए। सो कांग्रेस-बीजेपी के बीच लेटर वॉर पहले ही शुरू हो चुके। पर कांग्रेस को तो पीएसी रपट का इंतजार। सोमवार को पीएसी में सीएजी विनोद राय से पूछा गया- कैसे 1.76 लाख करोड़ के आंकड़े तक पहुंचे? आकलन 2003 से क्यों किया? सीएजी ने आंकड़े के तीन मापदंड गिना दिए। अब यह आंकड़ा 57,666 करोड़ से 1.76 लाख करोड़ तक हो सकता। पर फिलहाल जोशी ने तो साफ कर दिया, जेपीसी ही सब कुछ नहीं।
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27/12/2010