विकीलिक्स के खुलासों ने अमेरिका के प्रति दुनिया की सोच को पुख्ता कर दिया। अमेरिका ने विकीलिक्स को रोकने की तमाम कोशिशें कीं, पर नहीं रोक पाया। सो गुप्त दस्तावेज जारी हुए। तो अमेरिका की कथनी और करनी का भेद खुल गया। सामने तो हर देश की तारीफ, पर पीठ पीछे ब्लादीमिर पुतिन से लेकर हामिद करजई, निकोलस सरकोजी, गॉर्डन ब्राउन, कर्नल गद्दाफी आदि नेताओं के लिए गाली की भाषा का इस्तेमाल। किसी को कुत्ता, किसी को सनकी, चरित्रहीन, किसी को मंदबुद्धि और कई अभद्र शब्दों से उद्बोधन। यहां तक कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के मुखिया तक की जासूसी कराने में कोताही नहीं बरती। यानी अमेरिका को अपने सिवा किसी पर भरोसा नहीं। सो खुलासों ने अमेरिका की बोलती बंद कर दी। खुद हिलेरी क्लिंटन दुनिया के देशों को फोन घुमा खुलासे पर भरोसा न करने की अपील करती रहीं। हिलेरी ने भारत से भी अपील की। यों अभी भारत के बारे में खुलासा आना बाकी। जॉर्ज बुश हों या बराक ओबामा, अपने मनमोहन की तारीफ में खुब कसीदे पढ़ चुके। पर अंदरूनी सोच क्या, यह तो आने वाले खुलासों में ही मालूम पड़ेगा। वैसे भी अमेरिका की फितरत कौन नहीं जानता। सो दुनिया में विकीलिक्स के खुलासों से खलबली, तो अपने देश में भ्रष्टाचार की रोज नई परतें उधड़ रहीं। संसद के शीत सत्र को तो पाला मार चुका। अब शायद मंगलवार को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार सर्वदलीय मीटिंग कर आखिरी पहल करेंगी। पर कोई नतीजा निकलेगा, आसार नजर नहीं आ रहे। सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों में से कोई अपना पतनाला हटाने को राजी नहीं। सो अब बहती गंगा में सुरेश कलमाड़ी भी हाथ धोने आ गए। सोमवार को स्पीकर मीरा कुमार से मिल सीधे मीडिया स्टैंड पहुंच गए। बोले- कॉमनवेल्थ घोटाले में मैंने कुछ गलत नहीं किया। किसी भी जांच को तैयार। सो मैंने स्पीकर से मिलकर संसद में बयान देने की अनुमति मांगी। पर कोई पूछे, जब संसद न चल रही और ना ही चलने के कोई आसार। तो बयान क्या खाक देंगे। अगर कलमाड़ी सचमुच इतने ईमानदार, तो मानसून सत्र में बहस के दौरान चुप क्यों रहे? तब शरद यादव जैसे नेता ने शेरू, मोटी चमड़ी जैसे तमगे दिए। पर सचमुच कलमाड़ी पर कोई असर नहीं दिखा। सचमुच घोटालेबाज किस हद तक गिर सकते, इसकी मिसाल मुंबई में दिख रही। आदर्श सोसायटी घोटाले में अशोक चव्हाण की कुर्सी गई। तो अब अहम दस्तावेज गायब हो रहे। पहले महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग में रखी आदर्श सोसायटी की फाइल से चार अहम पन्ने गायब हुए। जिनमें नेताओं-अफसरों की सिफारिश से लेकर सोसायटी की खातिर सडक़ की चौड़ाई कम करने के आदेश। यों कंप्यूटर में रखी सॉफ्ट कॉपी सीबीआई को मिल गई। पर सोचिए, ऐसी ‘आदर्श’ चोरी किसने की होगी? अब सोमवार को खुलासा हुआ, डिफेंस इस्टेट से एनओसी देने वाले दस्तावेज गायब हो गए। आखिर घोटाला करने वाले अपने देश के महानुभाव क्या दिखाना चाहते? क्या सचमुच सत्य, अहिंसा और बापू के दिखाए आदर्श की भी तीस जनवरी 1948 को हत्या हो गई? आखिर अपने सरकारी तंत्र में ऐसा कौन सा दीमक। जो कभी भोपाल त्रासदी के मुख्य गुनहगार वारेन एंडरसन को भगाने के रिकार्ड गृह मंत्रालय में नहीं मिलते। तो कभी बोफोर्स दलाली के आरोपी ओतावियो क्वात्रोची के भगाने वालों का पता नहीं चलता। कभी सिख विरोधी नरसंहार के दोषियों का पता नहीं चलता। आखिर अपनी व्यवस्था को चलाने वाले देश में कौन सा ‘आदर्श’ स्थापित करना चाहते? क्या लूट-खसोट, इधर का माल उधर, दूसरों की जेब साफ कर अपनी भरना यही अपनी व्यवस्था का आदर्श? फिर भी कोई भ्रष्टाचार पर हेकड़ी दिखाए। तो उसे क्या कहेंगे आप? कांग्रेस ने एक बार फिर एलान कर दिया- न जेपीसी मानेंगे, न सत्रावसान करेंगे। पर अंदरखाने कांग्रेस कैसे लकीर पीट रही, सबको मालूम। मुसीबतों का सिलसिला थम नहीं रहा। आंध्र में नेतृत्व परिवर्तन भी काम नहीं कर पाया। आखिर जगन मोहन रेड्डी और पूर्व सीएम वाएसआर की पत्नी लक्ष्मी ने इस्तीफा दे दिया। मां-बेटे ने कुर्सी और कांग्रेस दोनों छोड़ दीं। सो कांग्रेस की बोलती बंद हो गई। जगन ने सोनिया गांधी को भेजी चिट्ठी में खूब आरोप लगाए। पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया से परहेज किया। अब कांग्रेस को जगन के अगले कदम का इंतजार। सो फिलहाल संसद में विपक्ष का तोड़ ढूंढ रही। बीजेपी नेता अरुण शौरी के बयान ने सहारा दिया। शौरी ने खुलासा किया- मुकेश अंबानी के खिलाफ संसद में न बोल सकूं, सो आखिरी वक्त में पार्टी ने मेरा नाम हटा वेंकैया को मौका दिया। सो कांग्रेस को मौका मिल गया। अब कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पूछ लिया- अब तक तो सिर्फ मैच फिक्स हुआ करते थे। बीजेपी की नैतिकता देखिए, संसद की बहस भी फिक्स होने लगी। पर शौरी का खुलासा तो कांग्रेस के लिए महज सीढ़ी। असली तोड़ तो छत्तीसगढ़ में जाकर मिला। दिल्ली के वरिष्ठ नेता की सिफारिश पर रमन सरकार ने पुष्प स्टील को माइनिंग का लाइसेंस दे दिया। जिसे बाद में हाईकोर्ट ने अवैध ठहरा दिया। पर अब कांग्रेस का दावा, सिफारिश करने वाले बीजेपी के बड़े नेता का नाम उसे मालूम। सो मनीष तिवारी बोले- रमन सिंह उस बड़े नेता का नाम बताएं, वरना हम बताएंगे। सचमुच सिफारिश करने वाले में जिस बीजेपी नेता का नाम, गर खुलासा हो जाए, तो बीजेपी की जड़ें हिल जाएंगी। सो कांग्रेस ने इशारा कर दिया, ताकि जेपीसी की जिद छोड़ विपक्ष किसी और समझौते पर राजी हो जाए। यानी ‘आदर्श’ बनाने में बीजेपी-कांग्रेस चोर-चोर सगे भाई।
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29/11/2010
Monday, November 29, 2010
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