Friday, December 24, 2010

कलमाड़ी को कल, राजा को रंक बनाने की तैयारी?

तो कलमाड़ी को कल और राजा को रंक बनाने की तैयारी पूरी समझो। शुक्रवार को कॉमनवेल्थ घोटाले में कलमाड़ी के मुंबई, पुणे, दिल्ली ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे। तो स्पेक्ट्रम घोटाले में पूर्व संचार मंत्री ए. राजा से सीबीआई हैडक्वार्टर में पूछताछ हुई। अर्श से फर्श पर आना इसे ही कहते हैं। एक वक्त था, जब राजा इसी सीजीओ कॉम्प्लेक्स में साइरन बजाती लाल बत्ती वाली गाड़ी के साथ चमचमाते इलैक्ट्रॉनिक्स निकेतन के अपने दफ्तर में पहुंचते थे। पर शुक्रवार को जब सीजीओ कॉम्प्लेक्स के सीबीआई दफ्तर पहुंचे। तो चेहरे पर जबर्दस्ती की मुस्कान छलक रही थी। आखिर ऐसा हो भी क्यों ना, कभी मंत्री के रौब के साथ आते थे। अबके आरोपी बनकर आए। राजा से नौ घंटे की पूछताछ हुई। तो कलमाड़ी से आठ घंटे तक। पर दोनों ने तो सफाई पेश की, व्यवस्था की सारी गंदगी दिखा गए। राजा हों या कलमाड़ी, एक ही दलील- जो भी किया, टॉप बॉस की नॉलेज में। मतलब राजा लंबे समय से कहते आ रहे- टू-जी स्पेक्ट्रम आवंटन में पीएम को भरोसे में लेकर कदम आगे बढ़ाया। अब यही बात कलमाड़ी ने भी कह दी। सीबीआई के छापे ने कलमाड़ी के दिल पर छाप छोड़ दी। सो कलमाड़ी बोले- मैंने अकेले कोई फैसला नहीं लिया। अब कलमाड़ी उवाच का मतलब कोई अनाड़ी भी समझ जाए। कलमाड़ी ने यह नहीं कहा कि उनके हाथों कुछ गलत हुआ। अलबत्ता कॉमनवेल्थ घोटाले में आयोजन के लिए बना समूचा एक्जीक्यूटिव बोर्ड शामिल। यानी सीधे-सीधे पीएमओ पर इशारा। अब आप सीधे-सपाट शब्दों में राजा और कलमाड़ी उवाच का निहितार्थ निकालें। तो मतलब यही- हम सब चोर हैं। सो चोरी की सजा भला किसी एक को क्यों मिले। बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने तो छलावा करार दिया। शायद महाराष्ट्र प्रेम जाग गया। सो गडकरी का आरोप- कलमाड़ी को बलि का बकरा बनाया जा रहा। वैसे भी कलमाड़ी से अब कांग्रेस ही किनारा कर रही। सो गडकरी सहानुभूति दिखा रहे। पर बात कांग्रेस की, जिसने कलमाड़ी के तेवर देख शुक्रवार को साफ कर दिया, कलमाड़ी अपनी सफाई खुद देंगे। छापों से कांग्रेस कोई राजनीतिक संदेश नहीं देना चाहती, अलबत्ता यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा। यानी कलमाड़ी को समझाने की कोशिश, छापे राजनीतिक इशारे पर नहीं डाले गए। पर कलमाड़ी की गर्जना यहीं नहीं थमी। उन ने साफ कहा- कॉमनवेल्थ के आयोजन में कुल जितना खर्च हुआ, उसका महज चार से पांच फीसदी उनकी रहनुमाई वाली आयोजन समिति के जिम्मे था। यानी कलमाड़ी ने तेवर दिखा इशारों में ही सवाल दाग दिया- बाकी 95 फीसदी की जिम्मेदारी भी तय हो। सचमुच कॉमनवेल्थ में कलमाड़ी की भूमिका सिर्फ आयोजन तक सीमित। असली घोटाला तो इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुआ, जहां स्टेडियम के पुनरुद्धार पर ही अरबों लुट गए। सडक़ें बार-बार बनाईं-उखाड़ी गईं। सडक़ किनारे हर तीसरे दिन नई टाइल्स बिछती रहीं। कभी गमले में पौधे, तो कभी पौधे में गमले लगाए गए। कभी तेल में गाड़ी, तो कभी गाड़ी में तेल डाले गए। नेहरू स्टेडियम के बाहर ताश के पत्ते की तरह ढहा पुल भला कौन भूल सकता। सो जितनी जिम्मेदारी कलमाड़ी की, उतनी ही दिल्ली की शीला सरकार, जयपाल रेड्डी के शहरी विकास मंत्रालय और एम.एस. गिल के खेल मंत्रालय की भी। पर कांग्रेस की हमेशा यही रणनीति, मछली को जाल में फंसा, मगरमच्छों को छोड़ देती। अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदार दृष्टिकोण होता। तो राजा पर शिकंजा कसने में तीन साल और कलमाड़ी के घर छापा मारने में महीनों नहीं बीतते। अब राजा-कलमाड़ी की दलील दूरगामी प्रभाव डालने वाली। अगर दोनों आरोपी ही ऐसा कह रहे, तो भला कांग्रेस किस मुंह से विपक्ष को गलत ठहरा रही। विपक्ष के आरोपों में दम नहीं होता, तो संसद सत्र के वक्त सरकार बचाव की मुद्रा में नहीं दिखती। ऐसा भी नहीं कि यूपीए सरकार ने हंगामे में संसद सत्र को खाली-खाली बीत जाने दिया हो। मनमोहन की पहली पारी के शुरुआती दिन याद करिए, जब दागी मंत्री के मसले पर कैसी रार ठनी थी। बिना विपक्ष के बजट पारित हुआ था। सो भले राजा को रंक और कलमाड़ी को बीता हुआ कल बना कांग्रेस खुद को बेदाग साबित करने की कोशिश करे। पर जनता सब कुछ समझती। अब तो कपिल सिब्बल भी सुब्रहमण्यम स्वामी के निशाने पर आ गए। पीएम को पाती लिख अल्टीमेटम दे दिया। सिब्बल को टेलीकॉम मिनिस्ट्री से नहीं हटाया, तो कोर्ट जाएंगे। स्वामी की दलील, सिब्बल के इस विभाग में मंत्री बनने से जांच प्रभावित होंगी। क्योंकि सिब्बल अनिल अंबानी के वकील रह चुके। एक और कंपनी जिसमें दाऊद का पैसा लगा था, उसके भी वकील रह चुके। दोनों कंपनी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के दायरे में। सो सिब्बल के रहने से जांच निष्पक्ष नहीं कही जा सकती। अब पीएम क्या करेंगे, यह तो मालूम नहीं। पर उन ने शुक्रवार को शरद पवार की खैर-खबर जरूर ली। महाराष्ट्र के सीएम पृथ्वीराज चव्हाण की रहनुमाई में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बारिश से फसल के नुकसान पर मुआवजे की मांग लेकर गया था। पर प्याज की बढ़ती कीमत से परेशान पीएम ने प्रतिनिधिमंडल के सामने ही पवार से पूछ लिया। प्याज पर क्या कर रहे? कांग्रेस ने तो मंच से कह दिया- कीमतों पर काबू पाने के लिए जितने उपाय किए, पवार की खैर-खबर भी उसी का हिस्सा। सो सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं, कांग्रेस का गठबंधन धर्म भी चौराहे पर।
----------
24/12/2010

No comments:

Post a Comment